तौक़ीर सिद्दीक़ी

लखनऊ: कानपुर एनकाउंटर (kanpur encounter) के ठीक एक हफ्ते बाद विकास दुबे का भी एनकाउंटर हो गया. विकास दुबे का एनकाउंटर भी लगभग उसी तरह पर हुआ जिस तरह उसके दुसरे साथियों का हुआ था . यूपी एसटीफ (UPSTF) पुलिस दुबे को गुरुवार को उज्जैन में हुई उसकी गिरफ्तारी के बाद कानपुर वापस ला रही थी, जहां शुक्रवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाना था. लेकिन पुलिस का कहना है कि पुलिस की कार पलटने के बाद विकास ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की. पुलिस का दावा है कि विकास 2-3 किलोमीटर तक भागा था, ऐसे में पुलिस को उसे गोली मारनी पड़ी. पुलिस ने जानकारी दी है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एसटीएफ के चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए जा रहे हैं. पुलिस का कहना है कि उसे आत्मसमर्पण को कहा गया था लेकिन उसने पुलिस पर गोलियां चलाई थीं.

कहानी में झोल
लेकिन पुलिस की इस कहानी में काफी झोल नज़र आ रहा है| आज के अगर पूरे घटनाक्रम पर नज़र डालें तो कहानी कुछ और नज़र आती है| कल रात, जो वीडियो आए थे उसमें दुबे को सफारी में ले जा रहे हैं लेकिन पलटी टीयूवी? जो अपराधी मंदिर के निहत्थे सुरक्षाकर्मियों के बीच से नहीं भागा वह अपराधी पिस्टल छीनकर भाग लिया, हथकड़ी कहाँ थी.

मीडिया की गाड़ियों को रोका जाना
ये बात भी सामने आई है कि एनकाउंटर से ठीक पहले पुलिस ने मीडिया की गाड़ी को पीछे रोक दिया था। यूपी एसटीएफ की टीम जब विकास दुबे (vikas dube) को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर चली थी। उसके बाद से ही मीडिया की गाड़ियां पुलिस के साथ-साथ थी। कई मीडिया संस्थानों की गाड़ियां पुलिस की गाड़ी के पीछे-पीछे चल रही थी। हालांकि, दिलचस्प है कि पुलिस ने एनकाउंटर की घटना से ठीक पहले पीछे चल रही मीडिया की गाड़ियों को रोक दिया। विकास दुबे के एनकाउंटर की घटना सुबह करीब 6.30 बजे हुई। इससे ठीक पहले मीडिया की गाड़ियों को रोका गया। मीडिया (media) की गाड़ी को कानपुर के सचेंदी एरिया में रोका गया था।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना
वहीँ कई प्रत्यक्षदर्शियों (eye witnesses) का कहना है कि हम लोग घटनास्थल के पास थे लेकिन हमको हटाया जा रहा था, इसके बाद ‘हमने यहां गोली चलने की आवाजें सुनी।

पुलिस की दलील
पुलिस की दलील है कि विकास यूपी पुलिस की जिस गाड़ी में सवार था, वो पलट गई। कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार (dinesh kumar) ने बताया, ‘तेज बारिश हो रही थी। पुलिस ने गाड़ी तेज भगाने की कोशिश की जिससे वह डिवाइडर से टकराकर पलट गयी और उसमें बैठे पुलिसकर्मी घायल हो गये। उसी मौके का फायदा उठाकर दुबे ने पुलिस के एक जवान की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की और कुछ दूर भाग भी गया।’ कुमार ने आगे कहा, ‘तभी पीछे से एस्कार्ट कर रहे एसटीएफ के जवानों ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की और उसी दौरान उसने एसटीएफ पर गोली चला दी जिसके जवाब में जवानों ने भी गोली चलाई और वह घायल होकर गिर पड़ा। हमारे जवान उसे अस्पताल लेकर गये जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’

पूर्व आईएएस का ट्वीट
एनकाउंटर की इस कहानी पर एक पूर्व आईएएस अधिकारी ने भी ट्वीट करते हुए सवाल उठाये हैं| पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट किया है ” पहले विकास दुबे सफ़ारी में सफ़र कर रहा था, फिर उसने 30-40 पुलिस वालों से लड़ कर अपनी गाड़ी बदलवाई और कहा कि मुझे TUV में बैठना है, फिर कुछ मिनट बार TUV पलटी, विकास हथियार लेकर भागा और अपनी जान पर खेल कर पुलिस ने उसे मार गिराया। आप क्रोनोलाजी समझिए।

उन्होंने एक और ट्वीट में कहा “पलटी हुई गाड़ी इतनी सलीके से पलटी गयी है कि चश्मदीद भी बोल रहे हैं ‘प्लांटेड है’।