ग्रामीण रूपान्तरण में रु 26 करोड़ के आर्थिक प्रभाव के साथ विकसित भारत के निर्माण में दिया योगदान

वेदांता लिमिटेड ने आज अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के उपलक्ष्य में ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए अपनी एक दशक की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है, इस अवसर पर कंपनी ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि पर रोशनी डालीः कंपनी ने 6 लाख महिलाओं को सूक्ष्म उद्यमी के रूप में सक्षम बनाया है, जिससे कुल रु 26 करोड़ का आर्थिक प्रभाव उत्पन्न हुआ है।

वेदांता का दृष्टिकोण ग्रामीण महिलाओं की बुनियादी बाधाओं को दूर करता है- जैसे पूंजी को सुलभ बनाना, क्षमता विकास और उन्हें मार्केट के साथ जोड़ना। देश भर में अपनी पहलों के ज़रिए वेदांता ग्रामीण महिलाओं के रूपान्तरण को सक्षम बना रही है, उन्हें आर्थिक रूप से निर्भर होने के बजाए अपने खुद के उद्यम संचालित करने, आजीविका के अवसर उत्पन्न करने और प्रत्यास्थ समुदायों के निर्माण में योगदान दे रही है।

6000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों और विभिन्न राज्यों जैसे राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ में 10 फेडरेशन्स के माध्यम से तकरीबन रु 3 करोड़ के माइक्रोफाइनैंस लोन वितरित किए जा चुके हैं, जहां लोन चुकाने की दर 95 फीसदी रही है। इन आंकड़ों से साफ है कि अगर महिलाओं को अवसर मिलें तो वे जवाबदेहिता के साथ अपनी ज़िम्मेदारी निभाती हैं। इन महिलाओं ने कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी में मार्केट के अनुसार ज़रूरी कौशल प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है, जिसके चलते वे अब बेरोज़गार नहीं रहीं, बल्कि कुशल उद्यमी बन गई हैं। वेदांता का नंद घर प्रोग्राम 2.5 लाख महिलाओं को शुरूआती शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं एवं कौशल निर्माण के अवसर प्रदान कर सुनिश्चित करता है कि महिला सशक्तीकरण पूरे परिवार को सशक्त बनाए।

आर्थिक सशक्तीकरण के साथ सामाजिक बदलाव भी मायने रखता है। भरोसा और उथोरी फोक थिएटर प्रोग्राम के ज़रिए वेदांता लिंग आधारित सामाजिक समस्याओं को भी हल करती है। वेदांता के जागरुकता प्रोग्रामों ने लाखों लोगों को घरेलू हिंसा, बाल विवाह, महिला भ्रूण हत्या एवं महिलाओं के कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित किया है। इस प्रोग्राम के तहत किशोरियों के समूह बनाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, हाइजीन, सुरक्षा एवं बाल अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

वेदांता की महिला सशक्तीकरण यात्रा का केन्द्र बिन्दु है स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित आंदोलन, जो महिलाओं को अपनी आजीविका कमाने में सक्षम बनाता है। राजस्थान और उत्तराखण्ड में हिंदुस्तान ज़िंक का सखी प्रोजेक्ट इसी बदलाव के पैमाने को दर्शाता है। इस परियोजना ने ऋण एवं बचत में तकरीबन रु 150 करोड़ उत्पन्न किए हैं। सखी के तहत महिला उद्यमियों ने दाइची-एडिबल्स और उपाया-टेक्सटाईल्स जैसे ब्राण्ड शुरू किए हैं, जहां लोकप्रिय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लाखों की ऑनलाईन बिक्री हुई है। सखी अब उदयपुर में बीपीसीएल के पहले महिलाओं द्वारा संचालित पेट्रोल पम्प का संचालन भी करती है, इस तरह पारम्परिक पुरूष प्रधान क्षेत्रों की बाधाओं को दूर कर रही है।