अमरीका स्थित यूनाइडेट स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजस फ्रीडम (USCIRF) की तरफ से जारी वार्षिक रिपोर्ट में भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति को एकबार फिर नकारात्मक करार दिया गया है. भारत को ‘कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न’ वाले देशों की लिस्ट में रखने की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में भारत में धार्मिक आजादी बाधित करने, कट्टर धार्मिक संगठनों का समर्थन करने की निंदा की गई है.

पिछले साल जब अमेरिकी संस्था ने ऐसी ही सिफारिश की थी तब विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘हम अपने पुराने रुख पर अडिग हैं कि कोई बाहरी हमारे नागरिकों की स्थिति के बारे में आकर न बताए जिन्हें संवैधानिक सुरक्षा मिली हुई है.’ विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत में ऐसी व्यवस्था है जो धार्मिक स्वतंत्रता और कानून के शासन की सुरक्षा की गारंटी देती है.

बहरहाल, रिपोर्ट में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा दिया है. इसकी वजह से धार्मिक स्वतंत्रता का निरंतर और गंभीर उल्लंघन हो रहा है.

अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की शुरुआत में, सीएए के विरोध में प्रदर्शन हुए. इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान है. रिपोर्ट में इस कानून को भेदभावपू्र्ण करार दिया गया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सीएए का विरोध करने वालों को निशाना बनाया गया.

अमेरिकी रिपोर्ट में दिल्ली में पिछले साल फरवरी में भड़की हिंसा का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2020 में तीन दशकों बाद दो समुदायों के बीच सबसे भीषण हिंसा भड़क उठी. इसमें 50 से अधिक लोग मारे गए और 200 अन्य घायल हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाली भीड़ ने धार्मिक स्थलों पर हमले किए. खास समुदाय के इलाकों में घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया. अमेरिकी आयोग ने धार्मिक आजादी के मानदंड इंटरनेशनल रीलिजस फ्रीडम एक्ट (IRFA) के जरिये निर्धारित किए है. आयोग ने भारत को विशेष चिंता वाले देशों की श्रेणी में शामिल किए जाने की सिफारिश की है.