लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि सुशासन सूचकांक में यूपी का सबसे निचले पादान पर होना योगी के ‘रामराज्य’ की हकीकत बयां करता है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को कहा कि इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन द्वारा न्यायसंगतता, वृद्धि और निरंतरता (इक्विटी, ग्रोथ और सस्टेनेबिलिटी) को लेकर जारी ‘जन मामलों के सूचकांक 2020’ के आंकड़ों से योगी शासित उत्तर प्रदेश में सुपर जंगलराज होने की बात प्रमाणित होती है।

इस रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण के राज्य अपेक्षाकृत अधिक सुशासित, जबकि गाय-पट्टी के राज्य कुशासित और यूपी सर्वाधिक कुशासित राज्य है। सूची में यूपी से ठीक ऊपर क्रमशः उड़ीसा और बिहार हैं।

राज्य सचिव ने कहा कि योगी के शासन में घृणा व विभाजनकारी की राजनीति को बढ़ावा दिया जाता है। सामाजिक, राजनीतिक व लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया जाता है। आपराधिक मामलों में संप्रदाय व जाति देखकर कार्रवाई की जाती है। दबंगों को संरक्षण दिया जाता है। दलितों-महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं पर कोई अंकुश नहीं है। आदिवासियों-वनवासियों को जल-जंगल-जमीन से बेदखल किया जा रहा है। गरीबों-वंचितों की सुनवाई और न्याय मिलना दूर की कौड़ी है।

माले नेता ने कहा कि विकास का ढोल बजाने और निवेश के दावों के बावजूद यूपी बीमारू प्रदेश की श्रेणी से बाहर नहीं हुआ है। किसानों की हालत यह है कि साढ़े अठारह सौ से भी अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य के बावजूद उन्हें अपना धान 1000 रु0 क्विंटल से भी कम रेट पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बिचौलियों और कालाबाजारियों की चांदी है। कमरतोड़ महंगाई है। रोजगार-धंधे चौपट हैं। बेरोजगारी चरम पर है। बुनकरी उद्योग सस्ती बिजली न मिलने से ठप है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि उक्त अध्ययन ने योगी सरकार के झूठ का पर्दाफाश कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन और विकास असल में एक-दूसरे के विपरितार्थी हैं। यह प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी लागू होता है। विकास अम्बानियों-अडानियों का हुआ है, चाहे कोरोना काल ही क्यों न हो। व्यापक जनता के हिस्से में तंगहाली और दमन-उत्पीड़न मिला है।