(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

भई ये तो बहुतै नाइंसाफी है। मोदी जी ने तो पहले ही चेता दिया था – अबकी बार चार सौ पार। इसके बाद भी बंदा कुछ भी करे‚ भाई लोग वही शोर मचाने लगते हैं – ये क्या कर दिया‚ कैसे कर दियाॽ केजरीवाल को जरा-सा हवालात की हवा खिलाई, तो वही शोर। कांग्रेस के खाते जरा से जाम किए‚ तो वही शोर। विरोधी नेताओं से लेकर उम्मीदवारों तक पर ईडी–सीबीआइ की छापामारी में जरा-सी तेजी आई‚ तब भी वही शोर। और तो और, दूसरी पार्टियों से पकड़ौआ उम्मीदवार लाएं‚ तब भी वही शोर। चार सौ पार का एलान कर दिया है‚ तो क्या अगला कुछ करे ही नहीं!

पहले आप क्रोनोलॉजी समझिए। सिंपल है – पहले चार सौ पार का एलान; फिर चार सौ पार का इंतजाम। और इंतजाम भी मोदी जी वाला। मजाल है कि बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी‚ कोई चीज छूट जाए। पक्के और कच्चे‚ हर तरह के इंतजाम। चुनावी बॉन्ड के जरिए और चुनावी बॉन्ड के बिना भी‚ नोटों की पेटियों का इंतजाम। चुनावी बॉन्ड के जरिए और उसके बिना भी‚ विरोधियों के तिजोरियों में सुखाड़ लाने का इंतजाम। नोटों की पेटियों और पेटीवालों की बदौलत‚ मीडिया को गोदी-सवार बनाने का इंतजाम। ईवीएम से लेकर चुनाव आयोग तक की फिक्सिंग का इंतजाम। विरोधी सरकारें गिरवाने, विरोधी पार्टियां तुड़वाने‚ ईडी–सीबीआइ के सहारे दूसरी पार्टियों के नेताओं को पकड़–पकड़ कर लाने का इंतजाम‚ वगैरह–वगैरह। ये तो हुए पक्के इंतजाम। और कच्चे इंतजामॽ पहले हेमंत सोरेन, फिर केजरीवाल की गिरफ्तारी। उससे पहले मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की गिरफ्तारी। विपक्षी उम्मीदवारों के घरों पर छापे‚ नोटिस‚ वगैरह। और हां! तेलुगू देशम वगैरह के साथ पुनर्विवाह। बीजद‚ अकाली दल को पुनर्विवाह के लिए अनुरोध–पत्र। चट दलबदल‚ पट टिकट पकड़, वगैरह‚ वगैरह। इतने इंतजाम‚ तभी तो चार सौ पार का एलान!

खैर! देसी विरोधियों के मुंंह तो मोदी जी बंद भी करा दें‚ पर इन बाहर वालों का क्या करेंॽ पहले जर्मनी वाले और अब अमेरिका वाले‚ जिसे देखो चला आ रहा है चिंता जताने कि ये सब क्या हो रहा हैॽ डैमोक्रेसी की मम्मी के शुद्ध रूप से घर के मामले में भी जुबान अड़ा रहे हैं। अच्छी–भली क्रोनोलॉजी के बीच में‚ खामखां बदनामी का डंका बजा रहे हैं।

(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)