मुंबई
महाराष्ट्र की राजनीति में आए राजनीतिक बवंडर के बीच आज शिव सेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के ज़रिये अपने दर्द को बयान किया। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि लकड़ी को काटने के लिए कुल्हाड़ी में लकड़ी का ही इस्तेमाल होता है, उनका मतलब था कि शिव सैनिको ने ही शिवसेना के खिलाफ बग़ावत की. इस दौरान उन्होंने अपने इस्तीफे की भी पेशकश की और कहा कि मेरे सामने आकर मुझसे इस्तीफ़ा मांगिये।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये शिवसेना बाला साहेब की शिवसेना है या नहीं?. ये हिंदुत्व पर चलने वाली शिवसेना है या नहीं? शिवसेना और हिंदुत्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इन्हें अलग नहीं कर सकते. ठाकरे ने आगे कहा कि हिंदुत्व के मामले में विधि मंडल में बात करने वाला मैं पहला नेता था. हम हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर ही अयोध्या गए थे.
सीएम ने आगे कहा कि कांग्रेस एनसीपी से हम सालों से लड़ रहे थे, उनके साथ हम सरकार में गए. शरद पवार ने मुझसे कहा कि मैं तुमसे बात करना चाहता हूं. उन्होंने कहा था कि हम चाहते हैं कि आप ये मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी ले. हमारे पास और कांग्रेस के पास वरिष्ठ नेता हैं. इन्हें आपका ही नेतृत्व संभाल सकता है. ठाकरे ने आगे कहा कि पद लेने के पीछे सिर्फ स्वार्थ नहीं है. राजनीति कोई भी मोड़ ले सकती है. मुझे आश्चर्य है, कांग्रेस और एनसीपी अगर कहे कि हमें आप मुख्यमंत्री पद पर नहीं चाहिए. तो मैं समझ सकता हूं, लेकिन आज कमलनाथ और पवार ने फोन किया और कहा कि हम आपके साथ हैं. लेकिन मेरे ही लोगों को मैं मुख्यमंत्री पद पर नहीं चाहिए हूं, तो मैं क्या कर सकता हूं.
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि यही अगर आप कहना चाहते थे तो ये मेरे सामने कहने में क्या हर्ज था. इसके लिए सूरत जाने की क्या जरूरत थी. अगर आप चाहते हैं कि मैं मुख्यमंत्री न रहूं तो फिर ठीक है. इनमें से एक भी विधायक मेरे सामने आकर कहता है, तो मैं आज ही इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं.
उद्धव ने कहा कि ये मेरी मजबूरी नहीं है. ऐसी बहुत चुनौतियां आई हैं और उसका हमने सामना किया है. जब तक मेरे साथ शिवसैनिक हैं, मैं किसी चुनौती से नहीं डरूंगा. जो आरोप लगाते हैं कि ये बाला साहेब की शिवसेना नहीं है, उन्हें मैं बता दूं कि ये वही शिवसेना है. मेरे पद छोड़ने के बाद कोई शिव सैनिक सीएम बनता है, तो मुझे खुशी होगी, लेकिन मेरे सामने आकर ये कहना होगा.
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