रायबरेली:
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सोमवार को बहुज़न समाज पार्टी के दलित वोट में सेंध लगाने की पहल के तहत रायबरेली में बने स्वामी प्रसाद मौर्य के कॉलेज में लगाई गई कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मान्यवर कांशीराम जी ने जो संघर्ष किया और जो रास्ता दिखाया और नेताजी ने जो साथ दिया था उस समय पर उसी का परिणाम यह था कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदलाव आ गया।”

बता दें कि बसपा के संस्थापक रहे कांशीराम की मिशनरी सोच के चलते ही वर्ष 1993 में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ था. इस गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टीको सत्ता में आने से रोककर तब सरकार बनाई थी और यह साबित किया था कि अगर दलित, पिछड़े और मुस्लिम एकजुट हो जाए तो भाजपा को सत्ता में आने से रोक जा सकता है. अब उसी सोच के तहत अखिलेश यादव भी यूपी में दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज को अपने साथ जोड़ने में जुट गए हैं. जिसके तहत ही उन्होने रविवार को कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया.

अखिलेश ने सभा को आगे सम्बोधित करते हुए कहा कि यह जो 100 नंबर शुरू की थी इसलिए की थी जिससे हमारे गरीब की मदद हो। अगर खेत में या कहीं कोई घटना हो जाए तो पुलिस समय पर पहुंच जाए। लेकिन बताओ 100 को 112 करके क्या कर दिया? 102, 108 एंबुलेंस दी उसका क्या हुआ?”. अखिलेश ने कहा कि जिन्होंने बजट को देखा होगा, बजट में क्या कहा, कि हमने इतना रोजगार और इतनी नौकरी दे दी है कि UP में बेरोजगारी दर 4 दशमलव कुछ बची है। इसका मतलब यह है 100 में 4 लोग ही बेरोज़गार बचे हैं सब को रोज़गार मिल गया। लेकिन गांवों में सब के सब युवा बेरोज़गार हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि हमने आपने पढ़ाई देख ली उनकी क्या बोले 46 में 56 और फिर भूल गए यह बात यह सब तो यूट्यूब और सोशल मीडिया पर भी है।
कई बार भारतीय जनता पार्टी दूसरों का साथ लेकर हमला करती है, दूसरों का साथ लेकर चुनाव लड़ती है। इसलिए सावधान रहना पड़ेगा भाजपा से और जो भाजपा का सहयोग कर रहे हैं इनडायरेक्ट उनसे भी।