एस आर दारापुरी,
राष्ट्रीय अध्यक्ष,
आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट
योगी सरकार लगातार यह दावा करती रही है कि उसके शासन काल में उत्तर प्रदेश में सख्त कानून व्यवस्था के कारण अपराध तथा अपराधियों पर कड़ा नियन्त्रण रहा है जिसके कारण महिलाओं पर अपराध में बहुत कमी आई है और वे अधिक सुरक्षित महसूस करती हैं। योगी के इस दावे का पोस्टर, बैनर, टीवी तथा सोशल मीडिया पर खूब प्रचार किया गया है तथा आम लोगों में इसका एक नेरेटिव प्रसारित किया गया है। जैसाकि आप अवगत है कि भाजपा अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से झूठा प्रचार करने में बहुत पारंगत है। परंतु जब सख्त कानून व्यवस्था तथा महिलाओं के सुरक्षित होने के इस दावे का तथ्यों तथा आंकड़ों के आलोक में परीक्षण किया जाता है तो यह भाजपा के अन्य दावों की तरह खोखला एवं झूठा सिद्ध होता है।
आइए उपरोक्त दावे के विभिन्न पहलुओं का तथ्य तथा आंकड़ों पर निम्नवत परीक्षण करें:-
15,828 अर्थात 50% से अधिक थीं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में महिलाएं कितनी सुरक्षित रही हैं।
अब अगर महिलाओं के मामले में सरकार तथा पुलिस का व्यवहार देखा जाए तो यह बहुत अमानवीय, दमनीय एवं निकृष्ट रहा है। आप उन्नाव जिले में कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा नाबालिग लड़की का बलात्कार, शाहजहानपुर में स्वामी चिन्मयानन्द द्वारा बलात्कार, हाथरस में दलित लड़की का गैंगरेप, हत्या एवं परिवार वालों की मर्जी के बिना रात में दाह संस्कार, उन्नाव में दलित लड़की का बलात्कार एवं जलाने का मामला को देखें तो सरकार एवं पुलिस का अमानवीय चेहरा एवं आरोपियों को बचाने का प्रयास दिखाई देता है। कई मामलों में तो अदालत के दखल के बाद ही कार्रवाही हो सकी।
उपरोक्त संक्षिप्त विवेचन से स्पष्ट है कि योगी सरकार का उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में कमी एवं उनके अधिक सुरक्षित होने का दावा तथ्यहीन एवं पूरी तरह से मनघड़न्त है और मिथ्या प्रचार पर आधारित है।
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