करबला मलका जहाँ में उलमा की सभा आयोजित हुई, मौलाना कल्बे जवाद ने कहा दिवाली के बाद शुरू होगा जन आंदोलन

लखनऊ
मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव और इमाम-ए-जुमा मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी पर वक़्फ़ करबला अब्बास बाग़ में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए कथित हमले की निंदा और आगे की कार्ययोजना पर विचार करने के लिए उलमा और क़ौम के दानिशवरों का मुशावरती जलसा आयोजित हुआ जिसमे में मौजूद सभी प्रतिभागियों ने मौलाना पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। यह जलसा कर्बला मलका जहाँ, तहसीनगंज लखनऊ में आयोजित हुआ। उलमा ने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। क़ौम के सम्मानित व्यक्तियों, अंजुमन हाय मातमी और सामाजिक व धार्मिक संगठनों को चाहिए कि वे सरकार को ज्ञापन भेजकर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करें।

जलसे की शुरुआत क़ारी मौलाना मुहम्मद मेहदी ने तिलावत-ए-कुरआन से की। इसके बाद मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी के संचालन में कार्यक्रम शुरू हुआ।
मौलाना तनवीर अब्बास ने मौलाना कल्बे जवाद नक़वी पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए उलमा का साझा संदेश पढ़ा, जिसमें लखनऊ के प्रमुख उलमा के नाम शामिल थे। नौगवां से आए जामियतुल मुन्तज़िर के प्रिंसिपल मौलाना कुर्रतुल ऐन मुज्तबा ने कहा कि क्या कौम इस इंतज़ार में है कि मौलाना ज़ख्मी हों, तब हम घरों से बाहर निकलें? यह हमला सिर्फ मौलाना की शख्सियत पर नहीं बल्कि कौम की इज़्ज़त पर हमला था, इसलिए उलमा और क़ौम के लोगों को घरों से निकलकर शांतिपूर्ण विरोध करना चाहिए ताकि अपराधियों को गिरफ्तार किया जा सके।

जामिया इमामिया तंज़ीमुल मकातिब के सचिव हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सफ़ी हैदर का संदेश मौलाना अली मोहज़्ज़ब ख़िरद ने पढ़ा। मौलाना सफ़ी हैदर ने अपने संदेश में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी पर हुए हमले को वक्फ़ विरोधी तत्वों और सांप्रदायिकता फैलाने वालों की सुनियोजित साज़िश क़रार दिया। उन्होंने कहा कि मौलाना कल्बे जवाद ने क़ौम के अंदर जागरूकता और प्रतिरोध की भावना को जीवित रखा है और वो अपने साहस और निर्भीकता के कारण दिलों के लीडर बने है। उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए सभी उलेमाओं, खुतबा, धार्मिक और सामाजिक संगठनों तथा क़ौम से अपील की कि वे कानूनी दायरे में रहकर शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी विरोध दर्ज करें ताकि सम्मानित आलिम-ए-दीन को न्याय मिल सके।

मौलाना मुहम्मद मियाँ आबिदी क़ुम्मी ने कहा कि मौलाना कल्बे जवाद नक़वी पर हुआ हमला पूरी कौम पर हमला है, उन्होंने सुझाव दिया कि उलमा और क़ौम के प्रतिनिधियों की एक समिति बनाई जाए जो आगे की रणनीति तय करे। उन्होंने कहा कि अगर शुरुआत में ही इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आगे इसके परिणाम बहुत गंभीर होंगे, एक प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से मिलकर दोषियों की गिरफ्तारी की मांग करनी चाहिए।

डॉ. कल्बे सिब्तैन नूरी ने मौलाना पर हमले की निंदा करते हुए कहा कि जिसके खून में शराफत है, वो मौलाना कल्बे जवाद की ख़िदमात से कभी इनकार नहीं कर सकता। ववह हमेशा हर आंदोलन में सबसे आगे रहे हैं चाहे वो अज़ादारी का आंदोलन हो या वक्फ़ की रक्षा का आंदोलन। बहुत काम लोगों में ये जुर्रत होती है कि वो मैदान ए अमल में आकर बोल सकें। उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि अब तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है, अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार होना चाहिए।

मौलाना मूसा रज़ा यूसुफ़ी ने कहा कि उलमा और क़ौम के ज़िम्मेदार लोगों को यह मामला सरकार तक पहुँचाना चाहिए और कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। मौलाना ने आगे कहा कि जब तक हम जन आंदोलन शुरू नहीं करेंगे जिला प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगेगी। उन्होंने आगे कहा कि उलेमा और संस्थाओं को अपने बयान सरकार तक पहुंचाने चाहिए।

मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी ने कहा कि आलिम-ए-दीन की इज़्ज़त, खुदा की इज़्ज़त होती है। अगर सरकार ने इस हमले पर कठोर कार्रवाई नहीं की तो लोगों को सड़कों पर उतरकर विरोध करना होगा। उन्होंने कहा कि एक सुनियोजित योजना के तहत हमें अपनी बात सरकार तक पहुंचानी चाहिए ताकि कार्रवाई की जा सके।

वक्फ़ बोर्ड के सदस्य मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी ने कहा कि अगर अपराधियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन हमारे सब्र का इम्तहान न लें।

अंत में मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने सभी उलमा और उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वक्फ़ और ज़मीन माफ़ियाओं का हमला बेहद संगठित था, लेकिन इसका एक लाभ यह हुआ कि वक्फ़ संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ों की सच्चाई पूरे देश में उजागर हो गई। उन्होंने कहा कि मीडिया ने इस मामले में सकारात्मक भूमिका निभाई और वक्फ़ माफ़ियाओं के इरादों को बेनकाब किया। मौलाना ने कहा कि वक्फ़ आंदोलन को उसी तरह चलाया जाना चाहिए जैसे अज़ादारी आंदोलन चला था ताकि वक्फ़ संपत्तियों की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि अगर उलमा और क़ौम ने सहयोग जारी रखा तो यह आंदोलन भी सफल होगा। उन्होंने घोषणा की कि दिवाली के बाद करबला अब्बास बाग में एक बड़ी जनसभा आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम ऐसे हमलों से डरकर पीछे नहीं हटेंगे हमने अज़ादारी और वक्फ़ आंदोलनों में बहुत मुश्किलें झेली हैं और आगे भी पीछे नहीं हटेंगे।

जलसे में मौलाना शफ़ीक़ आबिदी, मौलाना आदिल फ़राज़, अंजुमन हाय मातमी के प्रतिनिधि मीसम रिज़वी सहित कई अन्य उलमा ने सुझाव दिए।

इस मौक़े पर मौलाना एजाज़ हैदर, मौलाना मकातिब अली खान, मौलाना मुहम्मद इब्राहीम, मौलाना एहतिशामुल हसन, मौलाना ज़व्वार हुसैन, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना अली हाशिम आबिदी, मौलाना अक़ील अब्बास, मौलाना मुहम्मद हसन, मौलाना अब्बास असगर शाबरेज़, मौलाना मंज़र अब्बास, मौलाना अली मुहम्मद, मौलाना महफ़ूज़ अली, मौलाना सलम मर्तज़ा, मौलाना नफ़ीस अख्तर, मौलाना अलमदार हुसैन, मौलाना फिरोज़ अली, मौलाना राहत हुसैन, मौलाना फिरोज़ हुसैन, मौलाना नज़र अब्बास, मौलाना मिन्हाल हैदर और अन्य उलेमा के साथ-साथ अंजुमन हाय मातमी के प्रतिनिधि शामिल रहे।