टीम इंस्टेंटखबर
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को नोएडा में एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में कहा कि ये 2021 का भारत है, 1947 का नहीं. एक बार विभाजन हो चुका है, अब दोबारा नहीं होगा. जो लोग ऐसा सोचते हैं, वो खुद खंडित हो जाएंगे.

मोहन भागवत ने कहा, हमें इतिहास को पढ़ना और उसके सत्य को वैसा ही स्वीकार करना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा कि अगर राष्ट्र को सशक्त बनाना है और विश्व कल्याण में योगदान करना है, तो उसके लिए हिंदू समाज को समर्थन बनना होगा.

साथ ही कहा कि भारत के विभाजन की पीड़ा का समाधान विभाजन को निरस्त करना ही है. हिंदू अपने को सही और दूसरों को गलत मानने वाली विचारधारा नहीं है. इस्लामिक आक्रांता की सोच इसके विपरीत दूसरों को गलत और अपने को सही मानने वाला थी. पूर्व में यही संघर्ष का मुख्य कारण था. अंग्रेजों की सोच भी ऐसी थी और उन्होंने 1857 के विद्रोह के पश्चात हिंदू-मुस्लिम के बीच विघटन को बढ़ावा दिया.

पिछले हफ्ते शुक्रवार को धर्मांतरण कराने में शामिल लोगों और संस्थाओं को इशारों-इशारों में चेतावनी देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमें किसी का मतांतरण नहीं करवाना है, बल्कि जीने का तरीका सिखाना है. ऐसी सीख सारी दुनिया को देने के लिए हमारा जन्म भारत भूमि में हुआ है. हमारा पंथ किसी की पूजा पद्धति, प्रांत और भाषा बदले बिना उसे अच्छा मनुष्य बनाता है.