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सरकार के इस फैसले से बढ़ सकता है GST

बिजनेस ब्यूरो
जून 2022 के बाद राज्यों को हर साल जीएसटी कंपन्सेशन के रूप में मिलने वाली राशि बंद हो जाएगी. जीएसटी कंपन्सेशन को ऐसे समझिए कि केंद्र ने इस बात की गारंटी दी कि जीएसटी लागू करने के बाद टैक्स से राज्यों की कमाई हर साल कम से कम 14 फीसदी से बढ़ेगी, जो कमी रह जाएगी उसे केंद्र पूरा करेगा. बस यही कमी पूरी करने वाली राशि कंपन्सेशन की है.

यानी जून के बाद राज्य अपने हाल पर होंगे. यही वजह है कि राज्य एक साथ आकर केंद्र सरकार पर यह दबाव बना रहे कि कंपन्सेशन को दो से पांच साल के लिए और बढ़ा दिया जाए. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 17 राज्यों को चिट्ठी तक लिख दी. पूरी संभावना है कि अगले महीने होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह मुद्दा जोर पकड़ सकता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में संसद को यह साफ किया है कि कंपन्सेशन सिर्फ शुरुआती पांच सालों के लिए था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिलहाल केंद्र सरकार इसे आगे बढ़ाने के मूड में नहीं है. साथ ही वित्त मंत्री यह भी कहा कि राज्यों को कंपन्सेशन देने के लिए केंद्र ने जो कर्ज लिया, उसे चुकाने के लिए लगाया गया सेस वित्त वर्ष 2026 तक लागू रहेगा.

कंपन्सेशन खत्म होने के बाद राज्य यह कोशिश करेंगे कि जीएसटी की ओवरहालिंग करके राजस्व बढ़ाया जाए. मतलब जीएसटी की दरों को बढ़ाया जाए. वे सभी कटौतियां वापस ले ली जाएं, जो जीएसटी के लागू करने के बाद की गई हैं. मौजूदा समय में यह भी आसान नहीं होगा. वजह साफ है कि महंगाई पहले से केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक का सिरदर्द बनी हुई है. ऐसे में जीएसटी की दरें बढ़ाना आग में पेट्रोल डालने जैसा होगा. अभी जीएसटी की औसत दर 11 फीसदी है. कुछ राज्य इसे बढ़ाकर 15 फीसदी करने के पक्ष में है.

केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि उनके राज्य ने ऐसे 25 आइटम की लिस्ट तैयार की है, जिनकी कटौती कंपनियों ने ग्राहकों तक नहीं पहुंचाई. इस वस्तुओं पर जीएसटी की दर बढ़ाई जा सकती है. इनमें रेफ्रिजरेटर जैसे महंगे उत्पाद शामिल हैं. बालागोपाल ने यह भी कहा कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि 30 जून के बाद भी सरकार मदद करेगी, अन्यथा राज्य बड़ी मुश्किल में फंस जाएंगे. मोटी बात यह कि अपने करीब पांच साल के सफर जीएसटी इस समय सबसे नाजुक मोड़ पर खड़ा है. यह तय है कि आगे की राह इस कर सुधार आसान नहीं. और हां, सबसे जरूरी बात कंपन्सेशन रहे या जाए आपकी जेब पर टैक्स का बोझ बढ़ने ही वाला है.

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