नई दिल्ली : अमेरिका के इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट की तरफ से लाए नियमों को अब खुले तौर पर चुनौती मिल रही है। Google, Facebook और Microsoft समेत 12 आईटी कंपनियों ने इसके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया है।

ICE का बयान
दरअसल इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट (ICE) ने पिछले दिनों बयान जारी कर कहा था कि नॉनइमिग्रैंट F-1 और M -1 छात्रों को अमेरिका में प्रवेश नहीं दिया जाएगा । इसके बावजूद अगर वह अभी भी अमेरिका (america) में रह रह हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़कर अपने देश जाना होगा। ऐसा न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

M-1 स्टूडेंट
ICE के अनुसार, F-1 के छात्र अकैडमिक कोर्स वर्क में हिस्सा लेते हैं जबकि M-1 स्टूडेंट ‘वोकेशनल कोर्सवर्क’ (vocational coursework) के छात्र होते हैं। डिपॉर्टमेंट के मुताबिक जिन छात्रों की आनलाइन क्लासेज चल रही है उन्हें अगले सेमेस्टर से वीजा नहीं दिया जाएगा जबकि यूनीवर्सिटीज ने अगले सेमेस्टर की योजना नहीं बताई है।

यूनीवर्सिटीज भी दायर कर चुकी है मुकदमा
हॉपकिन्‍स विश्वविद्यालय हार्वर्ड (havard) और एमआईटी (MIT) जैसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान भी अमेरिकी प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर कर चुकी हैं।

H1B वीजा का भी विरोध
H1B वीजा का भी विरोध कर चुकी है कंपनियां – स्टूडेंट वीजा के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (donald trump) की ओर से एच-1 बी वीजा समेत विदेशियों को जारी होने वाले काम से जुड़े वीजा को साल के अंत तक निलंबित करने के फैसले पर भी ट्रंप प्रशासन को इन कंपनियों का गुस्सा झेलना पड़ा था।

पिचाई का ट्वीट
गूगल के सुंदर पिचई ने ट्वीट कर कहा था कि अमेरिका की आर्थिक सफलता में अप्रवासियों का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने देश को तकनीक में वैश्विक रूप से अग्रणी बनाया है। मैं इस घोषणा से निराश हूं। पिचई के बाद टेस्ला के एलन मस्क और माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रेड स्मिथ ने भी इसका विरोध किया था।