खुलफाए राशदीन के खिलाफ विष वमन करने वाले व्यक्ति का इस्लाम में कोई स्थान नहीं: मौलाना वली रहमानी

तौक़ीर सिद्दीक़ी
लखनऊ: पवित्र कुरान अल्लाह के जरिया प्रकट की गई एक आसमानी किताब है, इस बात पर दुनिया भर के सारे मुसलमान एक मत हैं कि पवित्र कुरान पूरी दुनिया में अपने मूल रूप में मौजूद है और जब तक दुनिया है रहेगी। कुरान की किसी भी आयत में बदलाव के बारे में सोचना तो दूर की बात, उसके एक नुक़्ते (बिंदु) में भी संसोधन की गुंजाईश नहीं है। आज तक जितने भी लोगों ने क़ुरआन करीम पर विरोध जताने की कोशिश की है उन्हें मुंह की खानी पड़ी और वह अपने इरादे में विफल रहे । यूपी के शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में पवित्र कुरान की कुछ आयतों के खिलाफ एक याचिका दायर की है, जो केवल प्रचार पाने और राजनीतिक हित हासिल करने के लिए एक स्टंट है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने वसीम रिज़वी द्वारा पवित्र कुरान के अपमान पर आज अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही।

मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने आगे कहा कि वसीम रिज़वी के दावे में कोई दम नहीं है, इस तरह की बद्तमीज़ियां और कृत्य इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ पहले भी होते रहे हैं, जो लोग इसके बारे में जागरूक हैं और ख़बरों पर नज़र रखते हैं वह इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। इस बार उन्होंने न केवल पवित्र कुरान के बारे में, बल्कि हजरत अबू बकर सिद्दीक, हजरत उमर फारूक, हजरत उस्मान के बारे में भी बुरी बुरी बातें कही हैं । खुलफाए राशदीन के खिलाफ विष वमन करने वाले व्यक्ति का इस्लाम में कोई स्थान नहीं है।

मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने आगे कहा कि पवित्र कुरान की आयतों को हटाने या मिटाने का मुद्दा किसी संप्रदाय या मत से सम्बन्ध नहीं रखता बल्कि यह पूरे विश्व में मुसलमानों की संयुक्त आस्था से संबंधित है। इसलिए मुसलमानों के तमाम सम्प्रदायों, चाहे वह शिया हों सुन्नी हों, देवबंदी, बरेलवी, अहल-ए-हदीस या किसी भी संप्रदाय से सम्बन्ध रखते हों, अपील करता हूं कि इस मामले में भड़कने की, विरोध प्रदर्शन करने की या जुलूस निकालने की कोई आवश्यकता नहीं है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शुरू से इस मामले को देख रहा है और उसने कानूनी विशेषज्ञों की सलाह से अपनी राय तैयार कर ली है| याचिका तैयार की जा रही है, वरिष्ठ कानूनविदों की सलाह के अनुसार सही समय पर इसे उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया जायेगा और सर्वोच्च न्यायालय में मुसलमानों के विचारों को मजबूती से रखा जाएगा।