दयानन्द यादव डिग्री कॉलेज में आज महात्मा गाँधी और लालबहादुर शास्त्री जयन्ती कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ:
दयानन्द यादव डिग्री कॉलेज, अर्जुनगंज, लखनऊ में आज महात्मा गाँधी एवं लालबहादुर शास्त्री जयन्ती कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय के प्रबंधक अजीत यादव एवं प्राचार्य डॉ. संदीप पटेल उपस्थित रहे, साथ ही महाविद्यालय के शिक्षक/शिक्षिकाओं में डॉ. (मो.) अकबर, आनंद कुमार, डॉ. विकल सिंह, दीपक, डॉ. बबिता शुक्ला, मीनाक्षी शुक्ला एवं डॉ. इरम मेंहदी उपस्थित रहे।

इस मौके पर महाविद्यालय के प्रबंधक अजीत यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें “महान आत्मा” गांधी के रूप में भी जाना जाता था, एक नायक होने के साथ-साथ भारत के एक राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता भी थे। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा रूपी हथियार से भारत को स्वतंत्रता दिलाई। साथ ही छात्र/छात्राओं को गांधीजी के सत्य और अहिंसा जैसे आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। महाविद्यालय में कार्यरत हिन्दी प्राध्यापक डॉ. विकल सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधी जी साधारण जीवन जीने में विश्वास रखते थे। वह बहुत सकारात्मक सोच के व्यक्ति थे और इस चीज़ में विश्वास रखते थे कि जितनी वस्तुओं की आवश्यकता है वही रखनी चाहिए और उनका इस्तेमाल बिना बर्बादी के करना चाहिए।

महाविद्यालय के कॉमर्स विभाग के प्राध्यापक डॉ. (मो.) अकबर ने अपने वक्तव्य में लालबहादुर शास्त्री पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शास्त्रीजी एक कर्मठ एवं ईमानदार व्यक्तित्व के धनी थे। आज की राजनीति में ऐसे ही नेताओं की आवश्यकता है। राजनीति एक ऐसा पक्ष है, जिससे जीवन का प्रत्येक क्षेत्र प्रभावित होता है। अतः इस क्षेत्र में शास्त्रीजी को आदर्श रूप में देखे जाने की आवश्यकता है। महाविद्यालय की समाजशास्त्र की प्राध्यापिका डॉ. बबिता शुक्ला ने अपने वक्तव्य में कहा कि शौर्य और बहादुरी एक ऐसा गुण है जो गांधीजी ने प्रदर्शित किया। गांधी जी ने कई बड़े काम किए जिनसे पता चलता है कि वह कितने बहादुर थे। उन्होंने छात्र/छात्राओं को गांधीजी से प्रेरित होते हुए जीवन में कभी भी हार न मानने की बात कही।

अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संदीप पटेल ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गांधी के आदर्शों को वैश्विक परिदृश्य में अपनाए जाने की आवश्यकता है। आज का समाज आपसी कलह, द्वेष, ईर्ष्या, हिंसा एवं पशुता में जकड़ा हुआ है। ऐसे में हम गाँधीजी के आदर्शों को अपनाकर ही अपनत्व, प्रेम, अहिंसा एवं मानवता को समाज में स्थापित कर सकते हैं।