सांप ने ही ले ली “साँपों के मसीहा” की जान
पटनाः आस्तीन का सांप की कहावत तो मशहूर है ही लेकिन यहाँ बात हो रही है उस शख्स की जिसने पिछले पांच सालों में हज़ारों सापों को जीवनदान दिया, उनका रेस्क्यू किया और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर छोड़ा ताकि वो अपना प्राकृतिक जीवन व्यतीत कर सकें लेकिन साँपों का मसीहा का कहे जाने वाले इस शख्स की जान एक सांप ने ही ले ली. जानकारी के मुताबिक बिहार के समस्तीपुर जिले में सांपों का जान बचाकर जंगलों में सुरक्षित छोड़ने वाले जय कुमार सहनी की जान सांप ने ही ले ली। दरअसल, ताजपुर थाना क्षेत्र के बसही भिंडी वार्ड-3 निवासी 35 वर्षीय जय कुमार सहनी को ‘सांपों का मसीहा’ कहा जाता था। लेकिन 30 अप्रैल को एक जहरीले सांप के डसने से जिंदगी की जंग हार गए। जय कुमार सहनी पिछले पांच सालों से जय सांपों को रेस्क्यू कर उनकी जान बचाने और लोगों को खतरे से दूर रखने का काम कर रहे थे। उनकी बहादुरी और जुनून ने उन्हें पूरे जिले में मशहूर कर दिया था, लेकिन गुरुवार को एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सांप के काटने से उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि उन्होंने अब तक 2000 से अधिक सांपों का रेस्क्यू किया था और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा था। 30 अप्रैल दिन बुधवार को उन्हें दोपहर में पास के गांव से फोन आया।
जहां एक विषैला सांप देखा गया था। जय तुरंत मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू की कोशिश करने लगे। इसी दौरान सांप ने उनके दाहिने हाथ के अंगूठे में काट लिया। घटना के तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। परिजनों और ग्रामीणों की मदद से उन्हें समस्तीपुर सदर अस्पताल लाया गया।
अस्पताल में तैनात डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि जब तक जय कुमार सहनी को अस्पताल लाया गया, तब तक काफी देर हो चुकी थी। जहर पूरे शरीर में फैल चुका था और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। जय की मौत ने उनके परिवार और समुदाय को गहरे सदमे में डाल दिया है।
जय की शादी 13 साल पहले हुई थी और उनके दो छोटे बेटे हैं। उनके पिता शिवलगन सहनी ने बताया कि जय को बचपन से ही जानवरों से गहरा लगाव था। बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के उन्होंने सांप पकड़ने की कला सीखी थी। जय घंटों सांपों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ने में बिताते थे।