दीन और अज़ादारी के प्रचार-प्रसार में उलमा के किरदार को भुलाया नहीं जा सकता: मौलाना कल्बे जवाद
लखनऊ
इमामबाड़ा गुफ़रानमआब में अशरा ए मुहर्रम की चौथी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने दीन और अज़ादारी के प्रचार-प्रसार में उलमा के किरदार को याद किया। उन्होंने कहा कि आज जितना दीन और अज़ादारी हम तक पहुंची है उसमे उलमा के किरदार को भुलाया नहीं जा सकता। ये उलमा की क़ुर्बानियों का फैज़ है जो दीन अपनी हक़ीक़ी शक्ल में हमारे सामने मौजूद है। उन्होंने कहा कि हदीसों में है कि जब अज़ादार इमाम हुसैन (अस) पर गिरया करता है तो मुक़र्राबीने फरिश्तों को हुक्म होता है कि इन आसुंओं को जमा करके हौज़े कौसर में मिला दो ताकि उसकी लताफ़त मज़ीद बढ़ जाये।
मौलाना ने वर्तमान वैश्विक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज के तथाकथित मुस्लिम शासक अल्लाह के आदेशों का पालन करने में एकजुट नहीं हैं, बल्कि औपनिवेशिक शक्तियों के सामने सजदा करने में एकजुट हैं। उन्होंने मौजूदा बदत्तर सुरते हाल के लिए मुस्लिम देशों और ग़ुलाम मौलवियों को ज़िम्मेदार ठहराया। मौलाना ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुहर्रम को लेकर बहुत पहले कहा था कि जो परंपरा है वो बरक़रार रहेगी, इसी संदर्भ में हम यह कहना चाहते हैं कि अयातुल्लाह खामेनई और अयातुल्लाह सीस्तानी की तस्वीरें हम पिछले चालीस सालों से लगाते आ रहे हैं, इसलिए यह भी हमारी परंपराओं का हिस्सा है। पूरी दुनिया में उनके मुक़ल्लेदीन और पैरोकार मौजूद हैं। ये हमारे सियासी लीडर नहीं हैं बल्कि मज़हबी रहनुमा हैं। मौलाना ने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि अगर अयातुल्लाह खामेनई की तस्वीर लगाई गई तो हम नेतन्याहू की तस्वीर लगाएंगे, हम उनसे कहना चाहते हैं कि अगर उन्होंने पहले कभी इस शैतान की तस्वीर लगाई है तो आज भी लगाएं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को ऐसे लोगों पर लगाम लगानी चाहिए जो माहौल ख़राब करने के लिए सक्रिय हैं। अगर कहीं माहौल खराब होता है तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
मजलिस के आखिर में मौलाना ने हज़रत मुस्लिम इब्ने अक़ील अस के मासूम यतीम बच्चों की शहादत के वाक़िये को बयान किया।