लखनऊ

वर्तमान काल में उज्जवल है उर्दू भाषा का भविष्य: डॉ० मसीहुद्दीन खान

  • उर्दू का डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपयोग का चलन बढ़ रहा है : डॉo यासिर जमाल
  • समर्पण सेवा संस्थान, लखनऊ व राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान सेमिनार का आयोजन

लखनऊ: समर्पण सेवा संस्थान, लखनऊ एक सामाजिक संस्था है जो कि वर्ष 2006 से समाज के उत्थान हेतु कार्य कर रही है। जैसे महिला सशक्तिकरण, बाल कल्याण, युवा कल्याण, पिछडा वर्ग कल्याण तथा समाज मे व्याप्त समस्याओे का निराकरण जैसे- दहेज प्रथा, घरेलु हिंसा, बालश्रम इत्यादि । इसी क्रम में आज दिंनाक 7/2/2021 को संस्था ने उर्दू जबान के फ़रोग़ पर आधारित एक सेमिनार नेहरू यूथ हास्टल, चैक में आयोजित किया गया । जिसका शीर्षक ‘‘दौरे -ए-हाज़िर में उर्दू ज़बान की अहमियत का मुताला और उर्दू ज़बान का फ़रोग़ है। जो कि राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित है। जिसमें 200 लोगो ने प्रतिभाग किया।

डा० मसीहुद्दीन ख़ान (मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी, लखनऊ) कैम्पस ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि अहदे हाज़िर में उर्दू भाषा का भविष्य उज्जवल है। उर्दू भाषा ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारतवर्ष जब अपनी स्थापत्य और स्वतंत्र अस्तित्व के लिए संघर्षरत था उस वक्त उर्दू भाषा ने उसको सँवारने का काम किया और बराबर प्रगति करती रही । इस दौर में उर्दू की हालत बहुत बेहतर हो रही है। कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर डा० यासिर जमाल ने उर्दू भाषा और साहित्य के हवाले से सोशल मीडिया के रोल पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दौर मे उर्दू के विकास के लिए आनलाइन संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे उर्दू भाषा का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। आज के युग में टेक्नोलाॅजी और सांइस के प्रगति करने से उर्दू के लिए साइबर व डिजिटल दुनिया में रास्ते बहुत आसान होंगये हैं। इस कार्यक्रम में जिला अम्बेडकर नगर से आये हुए रिसर्च स्कालर इरफान अहमद ने कहा कि उर्दू भाषा में जोडने की क्षमता मौजूद है। इस भाषा ने हमेशा परिवर्तन का स्वागत किया है और क्षेत्रीय सीमा, वर्ण, जाति एवं धर्म से ऊपर उठ कर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का काम किया है । हरदोई से आने वाले मुफ़्ती राशिद अहमद ने कहा कि उर्दू सारी भाषाओं का संगम है।

इस अवसर पर उर्दू भाषा के हवाले से यास्मीन बानो, हिना खातून और सना ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में रहमीन बानो, शबीना, अलीशा, रुबीना, चंदा बेगम, हुमा, ज़किया ख़ातून, लुब्ना, शहाना परवीन और आफ़रीन आदि प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कार्यक्रम में सेमिनार के समन्वयक मोहम्मद आदिल समेत ज़ोया, सूफ़िया और नसरीन व अन्य श्रोता व समान्यगण उपस्थित रहे।

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