टीम इंस्टेंटखबर
देश में नोटबंदी के बाद जब नए नोट जारी किये गए थे तब बड़े बड़े दावे किये गए थे जिसमें से एक दावा यह भी था कि देश में अब नक़ली नोटों का कारोबार करने वालों की कमर टूट जाएगी। बहरहाल अब वह दावे फुस्स हो चुके हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह स्वीकार कर लिया है कि देश भर में जाली नोटों का कारोबार बढ़ा है.

गृह मंत्रालय ने माना है कि देश में उच्च गुणवत्ता वाले जाली नोट के व्यापार का चलन बढ़ रहा है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, NIA द्वारा पिछले 2 साल में दर्ज किए गए 22 मामलों में से 12 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें जालसाजी के लिए उच्च गुणवत्ता के नक़ली नोटों का इस्तेमाल किया गया है. सरकार का कहना है कि फेक करेंसी का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया जाता है.

जाली नोटों के परिचालन से निपटने के लिए राज्य/केंद्र की कई सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचना साझा करने के लिए गृह मंत्रालय ने भारतीय करेंसी नोट समन्वय सूमह (एफसीओआरडी) बनाया है. वहीं, जाली करेंसी की तस्करी रोकने के लिए भारत ने नेपाल और बांग्लादेश के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत दोनों देशों के साथ संयुक्त रणनीति बनाई जा रही है.

इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटों पर सुरक्षा विशेषताओं को बढ़ाने सहित कई उपाय किए हैं, ताकि जालसाजी को मुश्किल और खर्चीला बनाया जा सके. देशभर में जाली नोटों के मामलों से निपटने के लिए 48 कोर्ट काम कर रही हैं. इससे संबंधित अपराधों के लिए अधिकतम दंड आजीवन कारावास तक है.