बिजनेस ब्यूरो
रिजर्व बैंक की तरफ से मिले आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में नकली नोटों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई है। 500 रुपये के नोटों की अगर बात करें तो 2020-21 में 500 के फर्जी नोटों की संख्या 101.9 फीसदी बढ़ गई। वहीं अगर बात 2000 के नोटों की बात करें तो 2020-21 में 2000 के फर्जी नोटों की संख्या 54.16 फीसदी बढ़ी है।

31 मार्च 2022 तक सर्कुलेशन में 500 और 2000 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी कुल वैल्यू की 87.1 फीसदी थी। 31 मार्च 2021 तक यह आंकड़ा 85.7 फीसदी था। 31 मार्च 2022 तक 500 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी सबसे अधिक थी, जो 34.9 फीसदी थी। इसके बाद नंबर आता है 10 रुपये के बैंक नोट का, जो कुल नोटों का 21.3 फीसदी था।

अगर पिछले साल से तुलना करें तो 10, 20, 200, 500 और 2000 रुपये के नकली नोट क्रमशः 16.4%, 16.5%, 11.7%, 101.9% और 54.6% बढ़े हैं। वहीं दूसरी ओर 50 रुपये के नकली नोट 28.7 फीसदी कम हुए हैं और 100 रुपये के नोट करीब 16.7 फीसदी घटे हैं।

दो हजार रुपये के बैंक नोट की संख्या में पिछले कुछ साल से गिरावट का सिलसिला जारी है। इस साल मार्च अंत तक चलन वाले कुल नोट में इनकी हिस्सेदारी घटकर 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत रह गई। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है। इस साल मार्च तक सभी मूल्यवर्ग के नोटों की कुल संख्या 13,053 करोड़ थी। इससे एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 12,437 करोड़ था।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 के अंत में चलन में शामिल 2000 रुपये के मूल्यवर्ग वाले नोटों की संख्या 274 करोड़ थी। यह आंकड़ा चलन में कुल करेंसी नोटों की संख्या का 2.4 प्रतिशत था। इसके बाद मार्च 2021 तक चलन में शामिल 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ या दो प्रतिशत रह गई। पिछले वित्त वर्ष के अंत में यह आंकड़ा 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत तक रह गया।