• अध्यात्म व राजनीति सहित कई क्षेत्रों की विभूतियों का समागम
  • शंकराचार्य परिषद अध्यक्ष स्वामी आनन्द स्वरूप व सांसद अशोक बाजपेयी रहे मौजूद
  • डॉ. राजाराम मिश्र व राम महेश मिश्र की कृति है यह ब्राह्मण ग्रन्थ

लखनऊ: इन्दिरानगर के सेक्टर-नौ स्थित सेन्ट्रल एकेडेमी स्कूल में विशेष ब्राह्मण ग्रन्थ का आज विमोचन किया गया। फर्रूखाबाद मूल के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजाराम मिश्र ‘कमलेश’ तथा लखनऊ निवासी वरिष्ठ आध्यात्मिक लोकसेवी एवं भाग्योदय फ़ाउण्डेशन के अध्यक्ष राम महेश मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक ‘ब्राह्मणों का इतिहास और उनका भविष्य’ के विमोचन समारोह में राजधानी लखनऊ की अनेक नामचीन हस्तियाँ उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ लोकसेवी श्री प्रमिल द्विवेदी, हास्ययोगी श्री शिवाराम मिश्र और मनोज मिश्र द्वारा किया गया था। सभागार सहित सभी व्यवस्थाओं का सहयोग मधुसूदन दीक्षित,विजय चतुर्वेदी और रूपेश मिश्र का रहा ।

इस अवसर पर बोलते हुए बंगलुरु स्थित श्रीधाम पीठ के पीठाधीश्वर एवं शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज ने कहा कि युग-युगांतरों से अलिखित वैदिक ज्ञान-विज्ञान को कण्ठस्थ करके सुरक्षित रखने वाले तथा ऋषि संस्कृति को अनेक प्रहारों के बीच भी संरक्षित रखने वाले ब्राह्मण पूर्वजों की आज की पीढ़ियों को जितनी समझदारी और बहादुरी की आवश्यकता आज है, उतनी पहले कभी नहीं रही। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को अतीत में ब्राह्मण धर्म कहा जाता रहा है। सनातन संस्कृति को विकास व विस्तार देने का दायित्व निभाने वाली शंकराचार्य पीठों तथा धर्मतन्त्र से जुड़े विद्वानों से सजग व सक्रिय होने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि शंकराचार्य परिषद की स्थापना इसी सजगता व सक्रियता को बढ़ाने के उद्देश्य से की गयी है। उन्होंने राष्ट्र निर्माण की दिशा में शंकराचार्य परिषद एवं भाग्योदय फ़ाउण्डेशन के सम्मिलित प्रयासों की भी चर्चा की।

राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक बाजपेयी ने देश की युवा शक्ति में संस्कारों के अभिवर्धन और उनमें देशप्रेम एवं संस्कृतिनिष्ठा के गुण भरने के भाग्योदय फ़ाउंडेशन के प्रयत्नों को सराहा और आशा व्यक्त की कि ‘ब्राह्मणों का इतिहास और उनका भविष्य’ शीर्षक वाली यह पुस्तक दीर्घ राष्ट्रीय हितों वाले इस अभियान को सफल बनाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने विमोचन सभा को एक गम्भीर व महत्वपूर्ण सभा की संज्ञा देते हुए कहा कि ब्राह्मणों को इस बात पर चिन्तन करना होगा कि आदिकाल से सदैव सम्मान पाने वाले ब्राह्मणवंशियों के सम्मान में कमी किन-किन कारणों से आयी है। उन्होंने आज की ब्राह्मण पीढ़ी को आत्म विवेचन एवं आत्मसमीक्षा की प्रेरणा दी और कहा कि ऐसा करने पर ही वे पुनर्स्थापित हो सकेंगे। उन्होंने ब्राह्मणों को अपने प्रमुख आभूषण ‘शिक्षा’ से सदैव जुड़े रहने का आह्वान किया।

उ.प्र.शासन में विशेष सचिव वन एवं पर्यावरण डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने पुस्तक के लेखक के इस भाव को सराहा कि ब्राह्मण युवक व युवतियाँ संस्कारवान और सुयोग्य बनकर समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलें तथा एक साथ मिलकर राष्ट्र को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ायें। उन्होंने वैदिक वांग्मय के गूढ़ रहस्यों तथा उन्हें उद्घाटित करने वाले ब्राह्मणों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा करते हुए ब्राह्मण को विद्या का साधक व उपदेशक बताया। पूर्व गृह सचिव श्री मणि प्रसाद मिश्र नेे संस्कार और संस्कृति के अर्न्तसम्बन्धों पर प्रकाश डाला और कहा कि प्रस्तुत पुस्तक भारतीय संस्कृति के इन दोनों ही पहलुओं पर विशेष रूप से आधारित है, इसलिए यह पुस्तक हर घर व हर जन के लिए उपयोगी है।

वरिष्ठ चिन्तक, विचारक एवं काउंसलर दिनेश पाठक ने पुस्तक के सहलेखक व सम्पादक श्री राम महेश मिश्र की साहित्य साधना की सराहना करते हुए कहा कि आज विमोचित पुस्तक में उन सभी बातों का समावेश है जिनको आचरित करने पर आज का ब्राह्मण वर्ग अपनी खोयी प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है। उन्होंने ब्राह्मणों को अपने खान-पान एवं चिन्तन-व्यवहार में उत्कृष्टता लाने की अपील की और कहा ऐसा करने वाले ब्राह्मणों को आज भी सभी वर्गों में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। पूर्व प्रशासक बाबा हरदेव सिंह ने ब्राह्मण वर्ग को समाज का मानसिक पोषण करने वाला एक ऐसा वर्ग कहा जिसके बिना समुन्नत समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।

पुस्तक के सहलेखक व सम्पादक राम महेश मिश्र ने पुस्तक की उपलब्धता की जानकारी दी और बताया कि इसे देश-विदेश के लोगों को भारी संख्या में पहुँचाने के प्रयास सेलेक्टिव बुक्स प्रकाशन एवं भाग्योदय फाउण्डेशन सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए जायेंगे। पुस्तक के मूल लेखक स्मृतिशेष प्रोफेसर (डॉ.) राजाराम मिश्र ‘कमलेश’ के पुत्र श्री आनन्द मिश्र ने अपने विचार रखे और प्रोफेसर मिश्र की अन्य साहित्य कृतियों की जानकारी उपस्थित जनसुदाय को दी। सभा संचालन महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ कानपुर/दिल्ली के प्राचार्य डॉ. सप्तर्षि मिश्र ने किया।

कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ समाजसेवी प्रमिल द्विवेदी के आभार ज्ञापन के साथ हुआ। इस मौके पर युवा सन्त डॉ. स्वामी सौमित्र प्रपन्नाचार्य, योगी आनन्द, आनन्द नाराण महाराज, अध्यात्मपुरुष केसरी प्रसाद शुक्ल, उत्तराखण्ड के पूर्व राज्य मन्त्री श्री जय प्रकाश द्विवेदी सहित अनेक शिक्षाविद, वैज्ञानिक, अभियन्ता, पत्रकार एवं कई गण्यमान व्यक्ति मौजूद रहे।