लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज उद्भव सोशल वेलफेयर सोसाइटी, बरेली द्वारा आयोजित ‘कोविड-19 महामारी एवं शिक्षक की भूमिका’ विषयक वेबिनार को राजभवन से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षक का दर्जा समाज में सदैव से ही पूजनीय रहा है। शिक्षक एक शिल्पकार के रूप में अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है। शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक अपने जीवन के अन्त तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को सही राह दिखाता रहता है। एक गुरू और शिक्षक अपने विद्यार्थियों को हर परिस्थिति और समस्याओं से निपटने की राह भी दिखाता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है।

राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज के युग में शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। एक आदर्श शिक्षक के सभी व्यवहारों का असर उसके शिष्य पर पड़ता है। इसलिए शिक्षक को चाहिए कि वह अपने विषय की पाठ्यवस्तु को इतना सहज, सरल, सुगम, सुरूचिपूर्ण एवं आनन्ददायक बनाकर पढ़ाए, ताकि बच्चों को यह पता भी न चले कि उसने अपना पाठ कब याद कर लिया। उन्होंने कहा कि अध्यापक बच्चों में देशप्रेम, अनुशासन और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को विकसित करें।

श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कोविड-19 के कारण शिक्षण की क्रमबद्धता बाधित होने से शिक्षकों सहित देश के भावी कर्णधारों के समक्ष भविष्य का प्रश्न अत्यंत स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि इसीलिए शिक्षण प्रक्रिया में, ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को लाया गया है। इसने शिक्षाशास्त्र के नए प्रारूपों को गति दी है। वास्तव में शिक्षक ही शिक्षा की वह धुरी है जो समस्त सुधारों और दूरगामी लक्ष्यों को जमीनी स्तर पर मूर्त रूप देता है।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के अपने लाभ हैं। शिक्षकों की मदद करने और ई-लर्निंग को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिये निरंतर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि ई-पाठशाला विविध ई-पुस्तक आदि ऐसी ही शिक्षण सामग्री की पहुंच दूरस्थ अंचलों के छात्रों तक बनानी होगी।

राज्यपाल ने शिक्षकों, शिक्षार्थियों, चिंतकों, शोधकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे इस बात पर विचार करें कि हमारी जनता, अपने कौशल एवं मूल क्षमताओं का किस प्रकार सर्वश्रेष्ठ उपयोग करे, जिससे भारत को विश्व गुरू के रूप में प्रतिष्ठित किया जाये।