देश में अगले महीने से TCS (Tax Collected at Source) से जुड़ा एक नया नियम लागू होने वाला है. आयकर विभाग ने सेक्शन 206C (1G) के तहत TCS का दायरा बढ़ाते हुए इसे लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) पर भी लागू करने का फैसला किया है. रेमिटेंस का मतलब है देश से बाहर भेजा गया पैसा. रेमिटेंस या तो खर्च (ट्रैवल, शैक्षणिक खर्च आदि) के रूप में हो सकता है या निवेश के रूप में. 1 अक्टूबर 2020 से एक वित्त वर्ष में किसी ग्राहक द्वारा 7 लाख रुपये या इससे ज्यादा का रेमिटेंस भेजा जाता है तो TCS लागू होगा. इस नए नियम की नींव फाइनेंस एक्ट 2020 के जरिए रखी गई है.

LRS, RBI की स्कीम है. यह स्कीम विदेश में प्रॉपर्टी की खरीद, निवेश, NRIs को लोन एक्सटेंड किया जाना आदि जैसे एक वित्त वर्ष के अंदर 2.50 लाख डॉलर तक के कैपिटल अकाउंट ट्रांजेक्शंस की अनुमति देती है. इसके अलावा प्राइवेट/इंप्लॉयमेंट विजिट्स, बिजनेस ट्रिप्स, गिफ्टस, डोनेशन, मेडिकल ट्रीटमेंट, नजदीकी रिश्तेदारों की देखभाल आदि के लिए एक वित्त वर्ष में 2.50 लाख डॉलर तक के करंट अकाउंट ट्रांजेक्शंस की भी अनुमति देती है. इंटरनेशनल ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर क्रेडिट कार्ड के जरिए सामान की खरीद के लिए वायर ट्रान्सफर भी इस स्कीम में शामिल है.

नए TCS प्रावधान LRS के तहत मंजूरी प्राप्त सभी फॉरेन रेमिटेंस पर लागू होंगे. नए प्रावधान के तहत LRS के तहत भेजे जाने वाले रेमिटेंस पर TCS की दर भारतीय नाग​रिकों के लिए इस तरह होगी…

रेमिटेंस के मामले में 7 लाख रुपये की लिमिट एक वित्त वर्ष के दौरान के सभी LRS रेमिटेंसेज को जोड़कर होगी. अगर रेमिटेंस ओवरसीज टूर प्रोग्राम पैकेज के लिए किए गए हैं तो 5 फीसदी TCS सभी रेमिटेंसेज पर लागू होगा, फिर चाहे अमाउंट 7 लाख से कम क्यों न हो. एक नया प्रावधान यह भी किया गया है कि एक साल में 50 लाख रुपये से ज्यादा के सामान की बिक्री पर 0.1 फीसदी TCS लागू होगा.

हालांकि टीसीएस तभी लगेगा, जब रेमिटेंस पहले से टीडीएस के दायरे में आने वाली आय से न हो. अगर कोई व्यक्ति विदेश दौरे के सभी इंतजाम खुद से करता है तो टीसीएस लागू नहीं होगा. अगर पहले से टीडीएस के रूप में टैक्स दिया जा चुका है और फिर भी टीसीएस लग गया तो इसके रिफंड का क्लेम किया जा सकता है.