टीम इंस्टेंटखबर
पेगासस जासूसी मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वो मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन करेगा। इस बारे में अगले हफ्ते आदेश जारी होगा।

चीफ जस्टिस एनवी. रमना ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इसी हफ्ते आदेश जारी करना चाहते थे। लेकिन कुछ सदस्यों के निजी कारणों से शामिल होने से इनकार के कारण मामले में देरी हो रही है।

बता दें कि इस मामले में 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। इसमें 12 याचिकाओं पर फैसला आएग। केंद्र सरकार ने जनहित और राष्ट्र की सुरक्षा का हवाला दे विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार किया था।

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया एजेंसियों ने दावा किया था कि भारत सरकार ने इजरायली स्पाइवेयर के दम पर देश में कई नेताओं, पत्रकारों और अन्य हस्तियों की जासूसी की गई थी। जिसके बाद वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थी।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक बार फिर से अपनी पुरानी बातों को दोहराते हुए कहा कि सरकार इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती। नागरिकों की निजता की रक्षा करना भी सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित नहीं कर सकती। केंद्र ने कहा कि हम हलफनामे के जरिए ये जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है। हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं। हमारी सीमित चिंता लोगों के के बारे में है। समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है। हलफनामे का उद्देश्य यह होना चाहिए ताकि पता चले कि आप कहां खड़े हैं।

सीजेआई ने आगे कहा कि हमने केंद्र को हलफनामे के लिए बार-बार मौका दिया। अब हमारे पास आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। समिति नियुक्त करना या जांच करना यहां सवाल नहीं है अगर आप हलफनामा दाखिल करते हैं तो हमे पता चलेगा कि आपका स्टैंड क्या है।