तौक़ीर सिद्दीक़ी
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग में कीव शहर में फंसे हज़ारों भारतीय बच्चों के अभिवावक बेहद परेशान हैं. यूक्रेन से लगे देशों की सीमाओं पर हज़ारों बच्चे खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे मौजूद हैं. इन बच्चों के अभिवावक जब विदेश मंत्रालय से जानकारी मांगते हैं तो उन्हें जो जवाब दिया जा रहा है वह अपने आप में बड़ा हैरानी वाला है और भारत की डिप्लोमैटिक पालिसी पर सवाल उठाने वाला है.

इसी बारे में एक ऑडियो वायरल हो रहा है जो गुजरात के किसी राजू भाई कारपुड़ा का है. इनका रिलेटिव पोलैंड बॉर्डर पर यूक्रेन में फंसा हुआ है. यही नहीं 12, 13 सौ और बच्चे भी वहां मौजूद है और इन्हें पोलैंड में इंट्री नहीं मिल रही है. राजू विदेश मंत्रालय की हेल्पलाइन पर सवाल करते हैं कि एम्बैसी के कहने पर ही यह लोग पोलैंड के बॉर्डर पर पहुंचे हैं। जवाब मिलता है कि जब एडवाइजरी जारी की गयी थी तब बॉर्डर खुला था, अब बंद है. राजू फिर सवाल करते हैं कि बाकी देशों के बच्चों को तो पोलैंड आसानी से इंट्री दे रहा है, जवाब मिलता है कि कुछ डिप्लोमैटिक प्रॉब्लम हो गए हैं इसलिए पोलैंड ने भारतियों की इंट्री बंद कर दी है. राजू फिर सवाल करते हैं कि ऐसा कब तक रहेगा? जवाब मिलता है कि बता नहीं सकते।

राजू को थोड़ा गुस्सा आता है और वह कहते हैं कि फिर हेल्पलाइन खोलने का क्या मतलब? इसके बाद विदेश मंत्रालय से जो जवाब मिलता है वह बेहद शॉकिंग है, जवाब मिलता है कि विदेश मंत्रालय ने तो जनवरी में ही यूक्रेन से वापस आने की एडवाइजरी जारी कर दी थी.

सच में यह ऐसा जवाब है जो किसी भी माँ बाप या अभिवावक को तोड़कर रख सकता है. अंत में राजू को कहना ही पड़ता है कि हम मान लें कि भारत सरकार इस मामले में हमारी कोई मदद नहीं कर सकता। हालाँकि इस वायरल ऑडियो की सच्चाई से इंस्टेंटखबर न इक़रार करता है न इंकार।