बेरोज़गारी की विकराल चुनौतियों के बीच मध्य प्रदेश में पंजीकृत बेरोज़गार युवाओं की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज हुई। जनवरी 23 में इनकी संख्या बढ़कर 38,92,949 हो गई, जो 1 अप्रैल, 2022 में 25.8 लाख थी। ऐसे कठिन समय में, स्पाइस मनी पूरे क्षेत्र में महत्वाकांक्षी युवा नैनोप्रेन्योर के लिए आशा की किरण बन गया है। ऐसी ही एक कहानी भोपाल की है, जहां कंपनी ने मिताली को अपनी वित्तीय स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की यात्रा शुरू करने में मदद की।

मार्केटिंग में पांच साल का इंटीग्रेटेड एमबीए पूरा करने के बाद, भोपाल के छावनी पठार की निवासी, मिताली साहू ने उसी क्षेत्र में काम करने वाले अन्य अनुभवी नैनोप्रेन्योर्स से बेशकीमती जानकारी प्राप्त करने के बाद स्पाइस मनी नारी अधिकारी बनने का फैसला किया। उनके समुदाय में, बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच, एक गंभीर समस्या थी, क्योंकि अधिकांश बैंक लोगों के घरों से दूर थे। इसके अलावा, स्थानीय व्यापार परिदृश्य में मुख्य रूप से पुरुषों के स्वामित्व वाली दुकानों का वर्चस्व था। मिताली ने स्पाइस मनी की सहायता से इन चुनौतियों का समाधान करने का बीड़ा उठाया और इस क्षेत्र में महिलाओं द्वारा संचालित एकमात्र प्रतिष्ठान का नेतृत्व किया।

स्पाइस मनी के साथ जुड़ने के बाद से, मिताली अपने समुदाय को विभिन्न किस्म की वित्तीय और गैर-वित्तीय सेवाएं पेश कर रही हैं। उनकी दुकान आस-पास के स्थानों से पैसे निकालने या स्थानांतरित करने के इच्छुक लोगों के लिए एक विश्वसनीय और सुविधाजनक केंद्र बन गई है, जिससे उनके लिए वित्तीय लेन-देन बहुत आसान हो गया है। इसके अलावा, मिताली के प्रयास ने समुदाय को सशक्त बनाया है, जिससे उन्हें अपनी पत्नियों, बेटियों, बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों को उनकी दुकान पर भेजने का भरोसा मिला। महिला नैनोउद्यमी के रूप में मिताली की भूमिका ने उनकी महिला ग्राहकों के बीच सहजता के भावना को बढ़ावा दिया है, जिससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि उनके बीच भरोसे का एक मज़बूत संबंध भी बना है।

मिताली ने अपना व्यवसाय शुरू किया तो उन्हें विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे लेन-देन अटक गए या ग्राहकों ने अपने खाते की शेष राशि से अधिक राशि निकालने की मांग की। स्पाइस मनी की सहायता से, ये छोटी-मोटी असफलताएं सीखने के अमूल्य अवसर साबित हुईं, जिससे ग्राहकों के व्यवहार के बारे उनकी समझ बढ़ी।

मिताली आने वाले दिनों में, अपने समुदाय के भीतर युवतियों के लिए रोज़गार की संभावनाएं पैदा करना चाहती हैं। उनके उद्यमिता के सफर ने उन्हें अपने गांव में प्रेरणा के स्रोत में बदल दिया है, जहां कभी परंपराएं लड़कियों को अपना उद्यम शुरू करने से रोकती थीं। परिवारों ने जानकारी और प्रेरणा प्राप्त करने के लिए अपनी बेटियों को उनकी दुकान में नामांकित करना शुरू कर दिया है, जिससे उनकी अपना उद्यम शुरू करने की महत्वाकांक्षा जगी है। मिताली अब नैनोउद्यमी बन चुकी हैं, जो लगन से अपने समुदाय को वित्तीय तथा गैर-वित्तीय दोनों तरह की सेवाएं प्रदान करती है, साथ ही अपने उद्यम को और भी आगे बढ़ाने की महत्वाकांक्षा रखती है।