जयपुर: राजस्थान में सचिन पायलट खेमे को नोटिस याचिका पर हाई कोर्ट से मिली फौरी राहत के खिलाफ अब विधानसभा स्पीकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) जाएंगे। स्पीकर डॉ. सीपी जोशी (C P Joshi) ने बुधवार को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि वे हाईकोर्ट में मौजूदा प्रक्रिया पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा दोनों कॉन्स्टिट्यूशनल ऑथोरिटी (constitution authority) में टकराव नहीं हो इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (SLP) दायर करने का फैसला किया है।

फैसले से पहले कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता
डॉ. जोशी ने मीडिया से कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लिए महत्त्वपूर्ण विषय पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए आया हूं। संसदीय प्रणाली में सबका रोल डिफाइंड है। आया राम गया राम संस्कृति रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में निर्देश दिए थे, जिसमें दलबदल के तहत अयोग्य ठहराने के अधिकार स्पीकर को दिया है। इस प्रक्रिया के बीच में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। 1992 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साफ कर दिया कि दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को है। फैसला करने से पहले हस्तक्षेप नहीं हो सकता, लेकिन इस स्टेज पर फैसले से पहले हमारे साथी चैलेंज करना चाहते हैं।

संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा
डॉ. जोशी ने कहा कि इस स्टेज पर हस्तक्षेप करना संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। स्पीकर की भूमिका साफ है। कोर्ट ने जो भी जजमेंट दिया उसका मैं सम्मान करता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अतिक्रमण होने दिया जाए। विधानसभा के नियमों के तहत किसी एप्लिकेशन की सुनवाई का अधिकार स्पीकर को है। उन्होंने कहा कि स्पीकर के निर्णय के बाद ही उसे चैलेंज किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद
डॉ. जोशी ने कहा कि उन्होंने कोर्ट का सम्मान किया है, लेकिन हमारे साथी नोटिस का जवाब देने के लिए स्पीकर के पास आना ही नहीं चाहते, वे सीधे कोर्ट चले गए, यह खतरा है। स्पीकर के नोटिस के बीच में अब तक कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया है। दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की शिकायत पर कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार स्पीकर को है। जोशी ने कहा एक भी जजमेंट ऐसा नहीं है जब बीच में हस्तक्षेप किया गया हो। आगे जाकर टकराव के हालात बन सकते हैं। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इसे जल्द सुनेगा।