टीम इंस्टेंटखबर
आखिर लंबी जद्देजेहद के बाद पंजाब कांग्रेस में चल रही उठापटक का फिलहाल ख़ात्मा हुआ और नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस को अध्यक्ष नियुक्त कर ही दिया गया। इसके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। इसमें संगत सिंह, कुलजीत नागरा, पवन गोयल और सुखविंदर डैनी का नाम शामिल है। इसके लिए केसी वेणुगोपाल की तरफ से पत्र जारी कर दिया गया है। पत्र में लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह फैसला लिया है। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सिद्धू के सामने कई तरह की चुनौतियां होंगी, जिसका उन्हें सामना करना होगा।

इसके साथ ही अब साफ हो गया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और राज्य में कांग्रेस की कमान नवजोत सिंह सिद्दू के हाथ होगी लेकिन इससे विवाद खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर सोनिया गांधी से खुलकर नाराजगी जाहिर की थी और पत्र लिखकर कहा था कि इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। इससे पहले दिन में पजाब इकाई में संभावित फेरबदल से पहले 10 कांग्रेस विधायकों ने सीएम अमरिंदर सिंह के पक्ष में बयान देकर एक संयुक्‍त बयान जारी किया था।

इसमें अहम यह है कि अब तक कांग्रेस से जब भी कोई मुख्यमंत्री या अध्यक्ष बनाया जाता है तो प्रदेश कार्यकारिणी सोनिया गांधी के नाम पत्र लिखती है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश कार्यकारिणी बैठक बुला रही है और अध्यक्ष का ऐलान हो गया। सोमवार को पंजाब कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी ने बैठक बुलाई थी जिसमें आलाकमान के फैसले पर मंजूरी की बात पर फैसला था लेकिन इससे पहले दिल्ली से सिद्धू के नाम का ऐलान हो गया।

पिछले कई दिनों से अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू दोनों एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे थे और समर्थकों की लामबंदी जारी थी। इस बीच पंजाब प्रभारी हरीश रावत के संकेत के बाद सिद्धू के अध्यक्ष बनने की चर्चाएं तेज हो गई थी और दोनों गुटों में खुलकर सामने आ गए थे। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू को अध्यक्ष बनाए जाने का ऐलान कर चर्चाओं पर जरूर विराम लगा दिया लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी में गुटबाजी बढ़ने की संभावनाएं जरूर बढ़ गई हैं।