स्टार एक्टीविस्ट ने बेज़ुबान जानवर को इन्साफ दिलाने की ठानी

लखनऊ: पिछले हफ्ते केरल के जंगलों में हुई मादा हाथी व उसके पेट में पल रहे बच्चे की हत्या को अत्यन्त गम्भीरता से लेते हुए गत 04 जून 2020 को स्टार एक्टीविस्ट सिद्धार्थ ने केरल के डी.जी.पी. से जनसूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचना मांगी। उक्त याचिका प्रकरण में इंसाफ दिलाने व दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से प्रेरित है। संज्ञान में आया है कि केरल राज्य में हाथियों की निर्मम हत्या एक आम बात है। बीते हफ्ते हथिनी की हत्या अन्नानास में किसी प्रकार का विस्फोटक भरकर हथिनी को खिलाने से हुई, जिसे खाते ही हथिनी का मुह फट गया और वह दर्द से कराहते हुए तालाब में लगभग एक हफ्ते तक अकेली पड़ी रही। अन्ततः उसकी मौत हो गयी। पोस्ट मार्टम में पता चला कि उसके गर्भ में एक बच्चा पल रहा रहा था। इस घटना क्रम से सम्पूर्ण देश में अत्यन्त रोष देखा गया था। विश्वसनीय सूत्रों पता चला है कि अभी तक किसी भी व्यक्ति की इस प्रकरण में गिरफ्तारी नहीं हुई है। केरल वन विभाग द्वारा सूचित किया गया है कि उक्त प्रकारण में मुकदमा लिखवाया गया है, क्योकि मुक़दमे की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी और न ही इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं पर किस प्रकार से रोकथाम लगायी जायेगी।

केरल के डी.जी.पी. से मांगी सूचना
अतः इस दुखद घटना का संज्ञान लेते हुए सिद्धार्थ द्वारा केरल के डी.जी.पी. से सूचना मांगी है। मांगी गई सूचना में अनेक बिन्दुओं के साथ यह सूचना भी मांगी गयी है कि क्या पंजीकृत अभियोग के प्रावधानों के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है या नहीं? जिस पुलिस थाने के अन्तर्गत यह हत्या हुई है उसके के एस.एच.ओ. के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी है? साथ ही में क्योंकि संज्ञान में आया है कि अभियोग में कोई भी व्यक्ति नामजद नहीं किया गया है अतः छानबीन किस आधार पर की जायेगी? साथ ही में पिछले सात सालों में जितने में व्यक्ति उपरोक्त पुलिस थाने के अन्तर्गत इस प्रकार के क्राइम करते हुए पाये गये हैं उनसे पूछतांछ हुई है कि नहीं। इससे पूर्व उत्तराखण्ड पुलिस के बहादुर-जांबाज घोडे शक्तिमान के प्रकरण में भी सिद्धार्थ ने उत्तरा खण्ड के डी.जी.पी. से जवाब तबल किया था। सिद्धार्थ ने प्रेस से मुखातिब होते हुए बताया कि दुनिया में शक्तिमान का एक मित्र था वह था श्री रवेन्द्र सिंह हैं जो कि शक्तिमान के साथ आज भी उनकी यादों में हैं।

हत्याकाण्ड को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश
26 बिन्दुओं की यह याचिका वर्तमान में अति महत्वपूर्ण इसलिए मानी जा रही क्योंकि कई लोगों ने इस हत्याकाण्ड को एक सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है परन्तु किसी ने हाथी और उसके बच्चे को इंसाफ दिलाने की कोई ठोस कार्यवाही अभी तक नहीं की है। आर.टी.आई. प्रकरणों को सात साल तक अभिलेखागार में सुरक्षित रखने का प्रावधान है और उम्मीद है कि केरल पुलिस मामले से ध्यान भटकाने में सफल नहीं होगी। हथिनी और उसके बच्चे को इंसाफ अवश्य मिलेगा।

उत्तर प्रदेश में पर्यावरण पर पहली RTI डालने वाले एक्टिविस्ट
सिद्धार्थ ने कहा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हथिनी और उसके बच्चे को नमन करते हुए याचिका भेजी जा चुकी है। 30 दिनों के अन्दर उक्त प्रकरण में प्रथम अपील दायर कर दी जायेगी। सिद्धार्थ ने इससे पूर्व भी पर्यावरण बचाने पर बड़ा काम किया है| उत्तर प्रदेश में पर्यावरण पर पहली RTI सिद्धार्थ नारायण ने ही डाली जिसपर हाफिज उस्मान ने एक्शन लिया था|