लखनऊ
अंतर्राष्ट्रीय कुद्स दिवस की तैयारियों के सिलसिले में आज मजलिसे उलमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने ऐलान करते हुए कहा कि इंशाअल्लाह इस बार अंतर्राष्ट्रीय कुद्स दिवस 21 अप्रैल, 29 रमज़ान जुमातुल विदा को मनाया जाएगा। मौलाना ने कहा कि अयातुल्लाह इमाम ख़ुमैनी की आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए फ़िलिस्तीन के मज़लूमों के समर्थन में, क़िब्ला-ए-अव्वल बैतूल मुक़द्दस की पुनः वापसी के लिए और इज़राइल के अत्याचार और हिंसा के ख़िलाफ़ रमज़ान के आख़री जुमे को रोज़े क़ुद्स मनाया जाता हैं। इस मौक़े पर सभी इंसाफ पसंद लोगों से अपील की जाती है कि जुमातुल विदा को आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज़ के बाद बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर मज़लूमों की हिमायत करते हुए ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करें।
इस मुनासिबत से नाएब इमामे जुमा मौलाना सरताज हैदर ज़ैदी ने ख़ुत्बा-ए-जुमा में रोज़े क़ुद्स की अहमियत पर तक़रीर करते हुए कह कि हर मुसलमान पर ज़ुल्म के खिलाफ और मज़लूमों की हिमायत में एहतेजाज फ़र्ज़ है। फ़िलिस्तीनियों पर कितना अत्याचार हो रहा है, इसकी ख़बरें हमें मिलती रहती हैं। लेकिन अफ़सोस है कि मानवाधिकार संगठन और संयुक्त राष्ट्र इस बर्बरता और अत्याचार पर चुप हैं। मौलाना ने कहा कि मुस्लिम दुनिया की खामोशी की वजह से क़िब्ला ए अव्वल सेह्यूनि राज्य का हिस्सा बन गया है, लेकिन अब मुस्लिम शासक जाग रहे हैं, इसलिए इस्राइल के ख़िलाफ़ एक साझा मोर्चे की ज़रुरत है।
मौलाना ग़ुलाम रज़ा रिज़वी ने तक़रीर करते हुए कहा कि रमज़ान के आखरी जुमे को सभी मुसलमनो की क़ौमी और शरई ज़िम्मेदारी है कि वो फिलिस्तीनी मज़लूमों के समर्थन में एहतेजाज करें। रमज़ान में किस तरह मस्जिदे अक़्सा का अपमान किया गया और रोज़ेदारों को मारा गया, इसका सबूत मीडिया में मौजूद हैं। इसलिए हमें एकजुट होकर क़िब्ला ए अव्वल की पुनः वापसी के लिए एहतेजाज करना चाहिए।
मजलिसे उलमा-ए-हिन्द सभी उलमा-ए-कराम, क़ौमी संस्थाओं और सभी मुसलमानो से अपील करती हैं कि वो 29 रमज़ान को जुमातुल विदा के दिन नमाज़े जुमा के बाद एहतेजाज में ज़रूर भाग लें।
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