ICMR के दूसरे राष्ट्रीय सीरोसर्वे में कहा गया है कि भारत की आबादी का करीब सात फीसदी जिसकी उम्र 10 साल या उससे ज्यादा है, अगस्त तक SARS-CoV-2 से संक्रमित हो चुका था. इनकी संख्या करीब 74.3 मिलियन होगी. इसमें सबसे ज्यादा शहरी बस्ती के इलाकों में हैं जिसके बाद शहरी गैर-बस्ती और ग्रामीण इलाके आते हैं. लेंसेट ग्लोबल हेल्थ प्री-प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से कम का आंकड़ा संकेत देता है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा नोवल कोरोना वायरस के लिए बेहद संवेदनशील बना हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रमण का ट्रांसमिशन ज्यादातर भारतीय राज्यों में जारी रहने की उम्मीद है, जब तक प्राकृतिक संक्रमण या टीकाकरण द्वारा हर्ड इम्यूनिटी की सीमा को हासिल नहीं कर लिया जाता है. जहां सीमा के बारे में अभी जानकारी नहीं है, वहीं ज्यादातर आकलन इसे 50 फीसदी से ज्यादा बताते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, हर नौ व्यक्ति में से एक जिसमें कोविड-19 से जुड़ा कोई लक्षण नहीं पाया गया, उसमें SARS-CoV-2 एंटीबॉडी मौजूद थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा डेटा टेस्टिंग की रणनीति के विस्तार को समर्थन देता है. इनमें उन व्यक्तियों को शामिल किया जाना चाहिए जिनमें लक्षण नहीं हैं. उन्होंने केवल 3 फीसदी सीरो पॉजिटिव व्यक्तियों को पाया जिनमें कोविड-19 के लक्षण दिखे. इससे लक्षण की वजह से टेस्टिंग की सीमाएं दिखती हैं. इसके साथ यूनिवर्सल रोकथाम के उपायों का महत्व समझ आता है.

रिपोर्ट में सामने आया है कि करीब 15 लोगों में से एक व्यक्ति जिसकी उम्र 10 साल या ज्यादा है, उसे अगस्त 2020 तक SARS-CoV-2 संक्रमण था. व्यस्कों का सीरोप्रेवलेंस मई और अगस्त 2020 के बीच 10 गुना बढ़ गया. मई के मुकाबले अगस्त में कम संक्रमण और केस का अनुपात देशभर में टेस्टिंग में अच्छी बढ़ोतरी को दिखाता है.