लखनऊ:
भाकपा (माले) ने आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण को उचित ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण और संविधान की मूल भावना के विरुद्ध बताया है। पार्टी ने 3-2 के बहुमत से आये फैसले को वृहत्तर बेंच को भेजने की मांग की है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को कहा कि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक, शैक्षिक व ऐतिहासिक पिछड़ेपन के आधार पर की गई है, न कि आर्थिक आधार पर। भाकपा (माले) ने जब यह आरक्षण लागू किया जा रहा था उस वक्त भी इसका विरोध किया था और आज फिर एक बार हम अपना विरोध दर्ज कराते हैं। ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए जो आय सीमा आठ हजार वार्षिक तय की गई है, वह भी मनमाना है। दूसरी ओर, संविधान के अनुसार जिन समूहों को आरक्षण का हक है और उन्हें जितना आरक्षण मिलना चाहिए, उसमें तमाम कारण बताकर कटौती की जा रही है।
राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 एवं…
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) मोदी जी ने क्या कुछ गलत कहा था? राहुल गांधी अमेठी…
आगरादिनों दिन गिरती मोदी जी की भाषा भाजपा के हार की गारंटी है. मोदी जितना…
यौन उत्पीड़न के आरोपी जद (एस) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एसआईटी ने शिकंजा कसना…
विराट कोहली को अपने स्ट्राइक रेट के चलते कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।…
मोबाइल भुगतान फर्म पेटीएम के लिए एक बड़ा झटका, अध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी भावेश…