दिल्ली:
बिहार सरकार ने बीते दिनों एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला किया था. सरकार ने दावा किया कि जाति आधारित जनगणना राज्य में विकास आधारित योजनाओं को बनाने और लागू करने में मदद करेगी। लेकिन नीतीश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को तब झटका लगा जब पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी. हाई कोर्ट द्वारा मामले पर रोक लगाने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से भी राज्य सरकार को निराशा हाथ लगी है. जाति आधारित जनगणना पर राज्य सरकार की याचिका गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।

दरअसल, बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे पर पटना हाई कोर्ट के अंतरिम स्टे को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, 14 जुलाई को हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करेगा. हाईकोर्ट ने सर्वे को प्रथम दृष्टया असंवैधानिक मानते हुए अंतरिम रोक लगा दी है। इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट ने कुछ आपत्तियां दर्ज की हैं। पहले वहां सुनवाई हो जाए तो अच्छा है। अगर हाई कोर्ट अगली तारीख पर सुनवाई नहीं करता है तो मामला हमारे सामने रखें। इससे पहले बुधवार (17 मई) को जस्टिस संजय करोल के खुद को अलग कर लेने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी. गुरुवार को जस्टिस अभय ओक व जस्टिस राजेश बिंदल की कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई. जिसमें सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में ही की जाए.