टीम इंस्टेंटखबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चूक के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के शो कॉज पर फटकार लगाते हुए कहा कि लगता है कि आपने तय कर लिया है कि आपको क्या करना है। फिर आपको कोर्ट आने की जरूरत क्या है। हालांकि मुख्य न्यायधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जांच की निगरानी करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में संकेत दिया कि रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाएगा, जिसमें चंडीगढ़ के डीजीपी, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, NIA के IG और IB के अधिकारी भी शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज का नाम अभी तय नहीं है, बाकी सदस्य यही होंगे। पहले की दोनों कमेटी कोई जांच नहीं करेगी।

पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सारे रिकॉर्ड हाईकोर्ट के रजिस्टार के पास जमा किये जा चुके हैं।

पंजाब सरकार के वकील ने कहा, ”बिना किसी जांच के हमारे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही है। यह उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करा ले और अगर हमारे अधिकारी दोषी पाए जाएं तो उन्हें फांसी पर टांग दें।”

केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ”यह सभी नोटिस कोर्ट के आदेश से पहले जारी किए गए। पीएम के दौरे के दौरान यह पूरी तरह से खुफिया विफलता थी।” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सड़क के बारे में सही जानकारी देना डीजीपी का काम था। सड़क ब्लॉक हो, तो भी एक रास्ता खुला रखना प्रशासन का काम था।

उन्होंने कहा, ”ब्लू रूल के मुताबिक, ये डीजीपी की जिम्मेदारी है कि वो इन नियमों का पालन सुनिश्चित करें। भीड़ की स्थिति में व्यवस्था बनाये रखें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार ऐसे अधिकारी को बचा रही है। जांच तो इस बात की होनी चाहिए कि राज्य सरकार ऐसा क्यों कर रही है।”

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के शो कॉज पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगता है कि आपने तय कर लिया है कि आपको क्या करना है। फिर आपको कोर्ट आने की जरूरत क्या है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कोर्ट हम नहीं आए हैं, याचिकाकर्ता आये हैं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, ”सवाल उठता है कि जब आपने तय ही कर लिया है कि आपको क्या कार्रवाई करनी है, किस के खिलाफ करनी है तो जांच किस बात की होगी। फिर कोर्ट के लिए करने को क्या बच जाता है।”

सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार की कमेटी जांच करें और तीन हफ्ते में रिपोर्ट दायर करे। राज्य सरकार को जिस अधिकारी के नाम पर आपत्ति है, उसे हटाया जा सकता है।