तौसीफ कुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ।जहाँ प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था अपनी बदहाली पर आँसू बाँह रही है ऐसे हालात में क़ाबिल चिकित्सकों को अपनी निजी द्वेष भावना के चलते बिना कोई ठोंस सबूतों के निलंबित कर बहुत से असहाय लोगों को एक अच्छी चिकित्सा से महरूम रखा जा रहा है जिसे किसी भी सूरत में सही नही कहा जा सकता है।लगभग 5 करोड़ मामलों और 13 लाख लोगों की मौतों के साथ कोरोना वायरस दुनिया भर में तबाही मचा रहा है।अगस्त 2020 की भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR )की सीरो-सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारत की 7% जनसंख्या (62 मिलियन) कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुकी है हालाँकि कोरोना पॉज़िटिव की संख्या 85 लाख और मृतकों की संख्या लगभग 1.3 लाख है।कोरोना की इस महामारी ने भारत की सामुदायिक स्वास्थ्य प्रणाली जो पहले से ही चरमरा गई थी, पतन के कगार पर पहुँचा दिया है।
भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की अव्यवस्था के कुछ बिन्दु –
भारत भर के चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले लोगो ने इस अव्यवस्था के सुधार के लिए “स्वास्थ्य एक मौलिक अधिकार“ आन्दोलन की शुरुआत की है
आइये एक-एक स्वस्थ भारत का निर्माण करें –
डाक्टर कफील खान का 3 साल से अधिक निलम्बन
डाक्टर कफील खान को 22 अगस्त 2017 से ( 1200 दिनों ) से निलम्बित किया गया है ( बीआरडी आक्सीजन त्रासदी के बाद पहली बार और 31 जुलाई 2019 को जांच समिति द्वारा क्लीन चिट मिलने के बाद दूसरी बार ) हालाँकि सर्वोच न्यायालय का कहना है कि निलम्बन 90 दिनों से अधिक नही होना चाहिए।
बीआरडी आक्सीजन त्रासदी 10 अगस्त 2017 को हुई, जिसमे कई बच्चे मर गए जिसका मूल कारण वेंडर को बकाया भुगतान न करने के कारण तरल आक्सीजन की आपूर्ति रुकना था।सरकार की विफलता को छुपाने के लिए डाक्टर कफील खान को बाली का बकरा बनाया गया और 9 महीनो तक जेल मे रखा गया हालांकि उन्होने ने उस दिन बच्चों की जान बचाने मे कोई कसर नही छोड़ी थी .
अब हमारी चिंता यह है कि पिछले 3 सालों मे 9 अलग-अलग जांच समिति की रिपोर्ट और उच्च न्यायालय से चिकित्सा लापरवाही और भ्रष्टाचार पर क्लीन चिट मिलने के बावजूद उनका निलम्बन समाप्त नही किया जा रहा है। अन्य सभी डॉक्टर, जिन्हें उनके साथ निलम्बित कर दिया गया था, को बहाल कर दिया गया है।
विभिन्न जांच समितियां जिन्होंने से जांच की –
डाक्टर कफील खान ने अधिकारियों को 25 से अधिक पत्र लिख कर अपना निलम्बन रद्द करने का अनुरोध किया है . रासुका निरस्त होने के बाद उन्होंने 18 सितम्बर 2020 / 13 अक्टूबर 2020 / 6 नवम्बर 2020 को लिखा है।
डाक्टर कफ़ील खान ने आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन), आइएपी (इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स), एनएनएफ़ (नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम), पीएमसएफ़ (प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम) और एमएससी (मेडिकल सर्विस सेंटर) को पत्र लिख कर अपने निलम्बन को ख़त्म कराने में मदद माँगी है।
हम मांग करते है कि उनके निलम्बन को तत्काल रद्द कर उनकी बहाली की जाए, कोरोना वायरस महामारी और डाक्टरों की अत्यधिक कमी को देखते हुये उन्हे देश की सेवा का मौका दिया जाए।
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