मोहम्मद आरिफ नगरामी

जबर्दस्ती, जबरन और लालच देकर एक हजार गैर मुस्लिमों को दायरे इस्लाम में शामिल करने के इल्जाम मे उत्तर प्रदेश ए.टी.एस. की टीम ने देहली के जामिया नगर इलाके से इस्लामिक दावत सेन्टर के जहांगीर आलम कासिमी और उनके साथी मोहम्मद उमर गौतम को गिरफतार किया। पुलिस के मुताबिक इन दोनों को इस काम के लिये बैरूनी मुमालिक से फण्ड मिलता है। पुलिस ने यह भी दावा किया है कि इन दोनों के ताल्लुक़ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. से होने के भी सुराग मिले है। अब इनके खिलाफ पुलिस की रिपोर्ट पर अदालत में मुकदमा चलेगा। वह मुजरिम है कि नहीं इसका फैसला अदालत में होगा। अगर उन्होंने यह काम अन्जाम दिया है तो यकीनन उनको इसकी सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये ताकि वह दूसरों के लिये इबरत बन सकेें। इनका काम उनका इनफेरादी अमल हो सकता है। मजहबे इस्लाम से इसका कोई तअल्लुक नहीं है। जैसा कि गोदी मीडिया के न्यूज चैनलों ने कहना शुरू कर दिया है।

जबरन और जबर्दस्ती की ममानियत तो क़ुरआने हकीम मेें आयी है कि दीन में कोई जबर्दस्ती नहीं है। तो जिस चीज को र्कुआन पाक मेें अल्लाह तआला ने मना फरमाया है तो एक सच्चा मुसलमान इस काम को कैसे अन्जाम दे सकता है। और एक इन्सान के जाती काम को मजहबे इस्लाम से जोडना गलत और नासमझी है । तारीखे इस्लाम का अगर गौर से मुताला करें तो आपको मालूम हो जायेगा कि हमारे रसूल सल0 से लेकर आज तक किसी को भी जबरन या लालच देकर मुसलमान बनाने की कोशिश नहीं की गयी है। हां मुसलमानों के अखलाक और किरदार को देख कर खुद ही लोग दायरे इस्लाम में शामिल होते रहे।

याद कीजिये रसूले अरबी सल0 का वह सबकआमोज वाकेआ जिसमेें मदीना में एक बुजुर्ग खातून हर रोज पैगम्बरे इस्लाम पर कूडा फेंका करती थी एक रोज जब ताजदारे मदीना पर कूड़ा नहीं फेंका गया तो उनको बहुत फिक्र हुयी। क्योंकि वह सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि तमाम कायनात के लिये रहमत बन कर इस दुनिया में तशरीफ लाये थे। सरवरे कौनैन सल0 उस बुजुर्ग खातून की खैरियत दरियाफत करने के लिये जब उसके घर पहुंचे तो देखा कि वह जईफा बीमार थी। रसूले अरबी सल0 ने उस जईफा की तीमारदारी की और उसको तसल्ली दी तो हजरत मोहोम्मद सल0 के अखलाक व किरदार से मुतअस्सिर होकर उसी वक्त मुसलमान हो गयी।

इस्लाम के आगाज से ही यह इल्जाम लगाया जाता रहा है कि इस्लाम तलवार से फैला है। मगर आज तक इस्लाम मुखालिफ ताकतें इस इल्जाम को साबित करने में नाकाम रहीं। रसूल सल0 के बाद खिलाफते राशदा फिर मैया दौरे हुकूमत ओर फिर अब्बासियेां की हुकूमत रही। मगर तारीखे इस्लाम में यह कहीं नहीं लिखा है कि लोगों को तलवार के जोर पर मुसलमान बनाया गया। हिन्दुस्तान की तारीख का अगर मुताला करें तो मुसलमान हुक्मरानों खास कर मुगलों ने भी किसी गैर मुस्लिम को जबर्दस्ती जबरन या लालच देकर दायरे इस्लाम में शामिल करने की कोशिश नहीं की। मुगलों ने हिन्दुस्तान पर सैंकडों साल शान व शौकत के साथ हुकूमत की। अकबर ने एक राजपूत लडकी जोधा बाई से शादी की। मान सिंह अकबर के फौज के सिपहसालार थे। कई गैर मुस्लिम अकबर के नवरत्नों में शामिल थे। अगर मुगल शहंशाह तलवार की जोर पर गैर मुस्लिमों को मुसलमान बनाते तो आज हिन्दुस्तान के हालात आज से बिल्कुल मुखतलिफ होते । इसके बावजूद मुसलमानों पर दहशतगर्दी, गद्दारी के इल्जामात लगते रहे। भला मैसूर के शहीद टीपू सुल्तान को कौन फरामोश कर सकता है। जिसने मुल्क पर अंग्रेजों के कब्जे के खिलाफ ऐसी जगें लडी कि जब एक जंगी मार्के मेें टीपू सुलतान शहीद हो गये तो अंग्रेज जनरैल ने शहीद टीपू सुलतान की लाश पर पैर रख कर कहा था कि आज हमने हिन्दुस्तान को फतेह कर लिया और आज उसी टीपू सुलतान के यौमे वेलादत और यौमे वफात पर मैसूर में जलसे मुनअकिद करना गद्दारी समझा जाता है।

धर्म परिवर्तन आजादी के बाद की सौगात है। इस मुल्क में ईसाई मिशनरियों ने इस काम का आगाज किया जब हमारे मुल्क मेें नीची जाति के हिन्दुओं पर जुल्म और सितम के पहाड तोडे जाने लगे तो हिन्दुओं ने ईसाई मजहब को कुबूल करना शुरू कर दिया। इससे उनको दो तरह के फायदे हासिल हुये। एक तो वह अपने आप को महफूज समझने लगे दूसरे उनको दौलत मिली, बच्चों की तालीम के रास्ते खुले नही तो बडी जाति के हिन्दुओं ने नीची जाति के हिन्दुओ पर मन्दिर में जाने की पाबंदी आयेद कर दी। कुएं से पानी भरने पर रोक लगा दी। इसी तरह कादियानियों ने रू0 पैसे की लालच देकर दीगर मुसलमानों को गरीब तब्के के मुसलमानों को कादियानी बनाने की मुहिम शुरू की है।

जहां तक हिन्दुस्तानी मुसलमानों का तअल्लुक है तो उन पर आजादी के बाद से तरह तरह के इल्जामात आयेद किये गये। कभी उनको देशद्रोही बताया गया कभी उनको दहशतगर्द की पदवी दी गयी। कभी मुसलमानों के मदारिस को दहशतगर्दी के मरकज बताया गया। जहां दहशतगर्दी की तालीम दी जाती है। तो कभी मुसलमानों पर मुल्क में कोरोना फैलाने का इल्जाम आयेद किया गया। मगर यह बडी अजीब बात है कि मुसलमानों पर लगाये गये इल्जामात को कोई माई का लाल साबित नहीं कर सका। क्योंकि मुसलमान अपने मुल्क के वफादार होते है गद्दार नहीं होते है। कभी आप आजादी के बाद की तारीख उठाकर देखिये तो गद्दारी और मुल्क के खुफिया राजों को दुशमने मुल्क तक पहुंचाने मेें किस किस का नाम आता है। तो मालूम हो जायेगा कि मुल्क का गद्दार कौन है और वफादार कौन है। उत्तर प्रदेश में आईन्दा आठ महीने के बाद एलेक्शन होने वाले है। बीजेपी मगरिबी बंगाल की करारी शिकस्त के बाद उत्तर प्रदेश में हारना नहीं चाहती है। बीजेपी के अन्दर जो खलफिशार और झगडा है वह खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं है। बीजेपी ने जो इंटरनल सर्वे कराया है तो उसमें बीजेपी को 100 से ज्यादा सीटें मिलती नहीं दिखाई दे रहीं है। ऐसे में उत्तर प्रदेश मेें हिन्दुत्व का कार्ड खलने की पेशनगोई सियासी मुबश्शिरीन पहले ही कर चुके है। पूरे मुल्क और खास कर उत्तर प्रदेश में कोरोना काल मेें जिस तरह की तसाहुली बरती गयी और फिर जबर्दस्त मंहगाई मेें लोगोें को बीजेपी से दूर कर दिया है।

अयोध्या में राम मन्दिर के नाम पर जमीन की खरीदारी में बदउनवानी के जोर से नये नये मामलों के इन्केशाफ से परेशान भगवा ब्रिगेड ने एक बार फिर अपने पुराने और कामयाबतरीन फारमूलों परे अमलआवुरी तेज कर दीे हैं। उसमें इन तमाम तनाजा इशूज पर बयानात का सिलसिला तेज कर दिया है। जिससे बाकी तमाम मामलात सर्दखाने में चले जाते है। और मुतअस्सिर मीडिया की मदद से मामला हिन्दू बमुकाबला मुस्लिम कर दिया जाता है। इस मामले में एक तरफ उन साधू संतों ने मुसलमानों के खिलाफ जहेरअफयाानी तेज कर दी है जिसकी शिनाख्त ही ऐसे बयानात से है। दूसरी जानिब आबादी से मुतअल्लिक मुजव्वजा कानून ओर तब्दीलिये मजहब जैसे इशूज तो खूब हवा देने की हिकमते अमली भी अपनायी जा रही है। हिन्दू रहनुमा मुसलमानों को हर मसले का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हिन्दू मजहबी रहनुमानों का मानना है कि और उनकी हुकूमत को इन्तेबाह देना हैं कि अगर मुसलमानों को वोट देने के हक से महरूम न किया गया तो 2030 तक हिन्दुस्तान मुसलमानों का गुलाम बन जायेगा। इधर अखिल भारती अखाडा परिषद के सरबराह महंत नरेन्द्र गिरि ने मुसलमानों और ईसाईयों को मुतनाजा और अहमकाना मशविरा दिया है कि वह दो ही बच्चे पैदा करें क्योंकि हिन्दू ऐसा ही करते है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि अगर इसी रफतार से मुसलमानां की आबादी बढ़ती रही तो मुल्क में हिन्दुओं का रहना मुशकिल हो जायेगा।

तमाम हिन्दुस्तान के मुसलमान जबरन और जबर्दस्ती और लालच देकर गैर मुस्लिमों को मुसलमान करने के वाकेआ की मज़म्मत की है और अगर अदालत में उन पर लगाये गये इल्जामात साबित हो जायें तो उनको इबरतनाक सजा देनी चाहिये। सारे मुल्क के मुसलमान अदालत और हुकूमत के साथ रहेंगेें।