नई दिल्ली: आज 2013-14 का ज़माना याद गया जब संसद की तरफ भाजपा के बहुत से नेता जो सरकार में मंत्री है या मंत्री थे, रसोई गैस के बढ़े दामों पर मंहगाई पर साइकिल यात्रा, बैलगाड़ी यात्रा और न जाने कैसी कैसी यात्राएं करते थे. वैसा कुछ दृश्य आज तब नज़र आया जब राहुल गाँधी उन्हीं मुद्दों को लेकर संसद जाने के लिए साइकिल पर सवार हुए, पेगासस जासूसी एक नया मुद्दा था.

नए कृषि कानूनों के खिलाफ संसद तक ‘सरप्राइज ट्रैक्‍टर मार्च’ के करीब एक सप्‍ताह बाद राहुल ने साइकिल की सवारी करके पेट्रो उत्‍पादों की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर ध्‍यान केंद्रित किया. उन्‍होंने अन्‍य सांसदों से भी इसमें भागीदारी का आग्रह किया. राहुल ने कहा, ‘साइकिल से संसद पहुंचकर हम हम इस मुदे पर सरकार का ध्‍यान आकर्षित कर सकते हैं.’ इस दौरान कुछ अन्‍य नेता भी साइकिल पर सवारी करते नजर आए.

राहुल ने एक ट्वीट करके कहा, ना हमारे चेहरे ज़रूरी हैं, ना हमारे नाम। बस ये ज़रूरी है कि हम जन प्रतिनिधि हैं- हर एक चेहरे में देश की जनता के करोड़ों चेहरे हैं जो महंगाई से परेशान हैं।

यही हैं अच्छे दिन?

गौरतलब है कि एनडीए सरकार में सहयोगी जेडीयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से ये मामला चल रहा है इसलिए जांच हो जानी चाहिए. जांच के बाद सब साफ़ हो जाएगा. विपक्ष भी दो हफ़्तों से इस मुद्दे पर संसद में हंगामा कर रहा है. विपक्ष की मांग है कि पेगासस जासूसी कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराई जाए.