नई दिल्ली: मुश्किल में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक को डूबने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने मास्टर प्लान बनाया है. आरबीआई के मास्टर प्लान के तहत लक्ष्मी विलास बेंक का डीबीएस बैंक में विलय होगा. आरबीआई के प्लान के मुताबिक सिंगापुर सरकार समर्थित डीबीएस, लक्ष्मी विलास बैंक में 2500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. इसके तहत लक्ष्मी विलास बैंक की 560 शाखाओं के जरिये डीबीएस बैंक की पहुंच इसके होम, पर्सनल लोन और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लोन ग्राहकों तक हो जाएगी. वहीं इससे लक्ष्मी विलास बैंक के डिपॉजिटर्स को भी फायदा होग. हालांकि शेयर धारकों के लिए यह झटका है.

RBI की योजना जल्द से जल्द लक्ष्मी विलास बैंक का विलय DBS बैंक के साथ करने की है. बेलआउट पैकेज के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के जमाकर्ताओं और बॉन्ड होल्डर्स को उनका पूरा पैसा मिल जाएगा. लक्ष्मी विलास बैंक में पैसा जमा करने वाले अपना पैसा आसानी से निकाल सकेंगे. अगर वे बैंक में अपना पैसा रखना चाहें तो भी वह सुरक्षित रहेगा. बता दें कि अभी बैंक पर मोरेटोरियम लागू होने की वजह से ग्राहक सिर्फ 25 हजार ही निकाल सकते हैं.

ग्राहकों के साथ बैंक के कर्मचारियों को भी फायदा होगा. RBI के प्लान के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक के कर्मचारी DBS बैंक के कर्मचारी बन जाएंगे. डीबीएस बैंक ने कहा है कि प्रस्तावित विलय से इसे अपना कस्टमर बेस और नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी.

लक्ष्मी विकास बैंक के शेयर होल्डर्स को घाटा होगा. अभी लक्ष्मी विलास बैंक का नेटवर्थ निगेटिव है. ऐसे में विलय में बैंक के शेयर होल्डर्स को पैसा नहीं मिलेगा. RBI ने कहा कि बैंक के पेड अप शेयर कैपिटल और रिजर्व के साथ सरप्लस और सिक्योरिटी प्रीमियर को राइट ऑफ किया जाएगा.

असल में सरकार ने लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) पर एक महीने के लिए मोरेटोरियम लगा दिया है. उसने बैंक के ग्राहकों के लिए पैसे निकालने की सीमा भी तय कर दी है. बैंक के ग्राहक अपने खाते से 25000 रुपये से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि लक्ष्मी विलास बैंक की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती रही है. पिछले तीन सालों में इसने नुकसान उठाया है, जिससे इसका नेटवर्थ खत्म हो चुका है. किसी तरह का रणनीतिक प्लान नहीं होने, घटते एडवान्स और बढ़ते नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स की वजह से नुकसान जारी रहने की उम्मीद है.