ज़ीनत शम्स

ज़ीनत शम्स

बात ज़्यादा पुरानी नहीं है, विश्व के पटल पर एक राष्ट्र अपने हथियार तकनीक और सैन्य बल पर बहुत उन्नति कर रहा था और विश्व के अन्य देशों को अपनी शक्ति से भयभीत करता रहता था| उस राष्ट्र के शासक की मित्रता एक गरीब देश के शासक से हो गयी जिसे अमीरों की तरह रहने और दिखावा करने का बहुत शौक़ था| वह हर समय स्वयं वंदना करने में लगा रहता था| दोनों शासक मित्रों के बीच वार्ता होने लगी मित्रता बढ़ने लगी, दूरभाष और तकनीक ने दोनों की मित्रता को और बढ़ाया| समय व्यतीत हुआ तो अमीर शक्तिशाली शासक ने अपने गरीब शासक मित्र को अपने देश में आमंत्रित किया| शीतकाल के आरम्भ में कार्यक्रम रखा गया| एक बड़े शहर में बड़ी सी जगह इसका आयोजन हुआ| आयोजन में दोनों देश के लोग, उद्योगपति व्यापारी, बुद्धिजीवी, निवेशक सब आमंत्रित थे| गरीब शासक मित्र जब वहां पहुंचा तो उसका स्वागत पान पराग से (“आप कैसे हैं मित्र”) से किया गया | मित्र बहुत प्रसन्न हुआ और उसने अपने अमीर शासक मित्र को फिर सत्ता प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और लोगों से भी जीत का आशीर्वाद देने को कहा| गरीब शासक मित्र जहाँ अपने अभिवादन से प्रफुल्लित था वहीँ अमीर शासक मित्र इस बात से खुश था कि यहाँ मौजूद जनता उसे जीत का आशीर्वाद ज़रूर देगी क्योंकि उसके मित्र ने अबकी बार फिर मेरे मित्र की सरकार का लोगों से वादा जो ले लिया था| बहरहाल वह ग़रीब शासक मित्र वापस अपने देश आ गया|

थोड़ा समय और बीता तो दोनों मित्रों को एक दूसरे की याद आने लगी | अब ग़रीब शासक मित्र ने अमीर शासक मित्र को अपने देश आमंत्रित करने के बारे में सोचा लेकिन उसे बुलाने का खर्चा बहुत था परन्तु मोह पर सब भारी| उस ग़रीब शासक मित्र ने अर्थ का प्रबंध करके अमीर शासक मित्र को आमंत्रित किया| पर यह क्या! उसी समय आकाशवाणी हुई कि यह समय विश्व में किसी के आतिथ्य सत्कार का नहीं है, कोई अज्ञात शत्रु तुम्हारे राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है और तुम्हारे देश पर संकट आने वाला है| शीतकाल अपने चरम पर था, WHO रुपी ऋषि नारद आये और बोले विश्व में कोई महामारी आने वाली है | कुछ समय बाद एक व्यक्ति में इस महामारी के लक्षण दिखाई दिए| ऋषि नारद आये और इस महामारी को अंतर्राष्ट्रीय आपदा बताया और स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया| फिर उस गरीब शासक के एक धुर विरोधी ने उसे आने वाले स्वास्थ्य संकट के बारे में चेताया लेकिन उस शासक ने अपने देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा को बंद नहीं किया और महामारी को रोकने के कोई उपाय नहीं किये, अपने अमीर शासक मित्र के कार्यक्रम को भी निरस्त नहीं किया और एक बड़े क्रीड़ास्थल पर उसका भव्य स्वागत किया गया | लाखों लोग एकत्रित हुए| अमीर शासक मित्र भी सह परिवार आया और अपने साथ एक बड़ा दल भी लाया | वह बहुत प्रसन्न था, उसने इस गरीब देश के प्रेम प्रतीक को देखने की इच्छा जताई | मित्र ने वहां पर भी उसके लिए भव्य आयोजन किया, हज़ारों कलाकारों ने स्वागत किया| फिर वह शासक मित्र वापस अपने देश चला गया|

मित्रता निभाने के इस चक्कर में महामारी से बचने के उपाय करने का समय बीत गया| दोनों ही देशों में वह रोगाणु घुस गया जिसकी WHO रुपी ऋषि नारद ने भविष्यवाणी की थी| अब दोनों मित्रों के देशों की प्रजा महामारी में घिर चुकी और लाखों लोग अस्वस्थ और मृत्यु का काल बन रहे हैं | जनता त्राहि त्राहि कर रही है | दोनों देशों को जन धन की बहुत हानि हुई मगर यह दोनों मित्र अभी भी गाल बजा रहे हैं | दोनों मित्रों ने महामारी से बचने के उपाय समय पर किये होते तो जन धन की हानि न होती | अब गरीब शासक मित्र के देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गयी | बेरोज़गारी भुखमरी आ गयी | श्रमिकों की दशा बहुत खराब हो गयी और बिना काम और पैसे के सड़कों पर आ गयी | इस तरह गरीब देश ग़रीबी के बोझ से और दब गया| मज़े की बात यह कि यह कार्यक्रम जिस उद्देश्य के लिए हुए थे वह अब पूर्ण होते दिखाई नहीं दे रहे यानि अबकी बार किसकी सरकार| कहते हैं मित्रता समझदार से ही करना चाहिए वरना लोग कहने लगते हैं राम मिलाये जोड़ी एक अँधा एक…. |