-मो. आरिफ़ नगरामी


हिन्दुस्तान के पहले वजीरे आजम पं0 जवाहर लाल नेहरू के नवासे, साबिक वजीरे आजम, इन्दिरा गांधी के बेटे, कांग्र्रेस के मौजूदा कायम मकाम सदर, सोनिया गाँधी के शौहर और कांग्रेस के साबिक सदर, राहुल गांधी के वालिद, कांग्रेस के नौजवान जनरल सेक्रेट्री प्रियंका गांधी के पिता और हिन्दुस्तान के सबसे कम उम्र और खूबसूरत वजीरे आजम आंजहानी राजीव गांधी का आज यौमे वफात है। आज से ठीक तीस बरस पहले राजीव गांधी को तमिल नाडु के श्री पोरबंदर के इलाके मेें एक इन्तेखाबी रैली के दरमियान टाईगर्स आफ तमिल इलम के दहशतगर्द धनु ने खुदकश हमले मेें कत्ल कर दिया था।

मुल्क के साबिक वजीरे आजम राजीव गांधी इन्दिरा गांधी के कत्ल के बाद 40 की उम्र मेें हिन्दुस्तान के छठें वजीरे आजम के ओहदे का हलफ लिया था। वह एक कामर्शियल पायलेट थे और वह हमेशा सियासत से दूर रहते थे जब कि उनके भाई संजय गांधी को सियासत से बहुत ज्यदा दिलचस्पी थी। मगर कुदरत के खेल भी निराले होते जहै। संजय गांधी का 1980 मेें एक हवाई हादसे मेें इन्तेकाल हो गया। और फिर जब मुल्क की सबसे ज्यादा हरदिल अजीज और ताकतवर वजी रेआजम इन्दिरा गांधी का उनके ही बहुत खास और काबिले एतेमाद बाडीगार्डों ने कत्ल कर दिया तो कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने राजीव गांधी ने इन्दिरा गाधी की जगह पर मुल्क का वजीरे आजम बनवा दिया।

हिन्दुस्तान के साबिक वजीरे आजम राजीव गांधी ने मुल्क की यकजेहती और सालमियत के लिये अपनी जान का नजराना पेश किया ओर मुल्क को 21वीं सदी में ले जाने का काम किया। मुल्क के नौजवानों को एक्तेदार में लाने का क्रेडिट भी राजीव गांधी को जाता है। उनकी सोच थी कि नौजवानों के जरिये हुकूमत दोगुनी तवानाई के साथ चल सकती है। राजीव गांधी का कहना था कि मुल्क में फिरकापरस्ती की कोई जगह नहीं है। फिरकापरस्ती की वजह से मुल्क कभी तरक्की नहीं कर सकता। हां फिरकापरस्त पार्टियां फिरकापरस्ती के जरिये हिन्दू और मुसलमानों के दरमियान नफरत की दीवार खडी कर सकती हैं मगर इससे मुल्क को नुकासान ही होगा । राजीव गंधी ने 1985 मेें और फिर 1991 मेें अपनी शहादत से से चन्द महीनों पहले कहा था। कि हिन्दुस्तान में फिरकापरस्ती के जहेर को बीजेपी ने फैला रखा है क्योंकि जनता दल हुकूमत ने अपने दौरे एक्तेदार में बीजेपी को जरूरत से ज्यादा अहमियत देकर उनके हौसलों को बढा दिया। उन्होंने कहा था कि हमें उन सब से लडना होगा क्योंकि सेक्युलरिज़्म हमारे हिन्दुस्तान की बुनियाद का सबसे मजबूत पत्थर है और अगर हमारे मुल्क मेें सेक्यलरिज्म जरा भी कमजोर होता है तो इससे हिन्दुस्तान, जन्नत का निशांन का बहुत नुकासान होगा। उस वक्त लोगों ने इसे पसन्द नहीं किया लेकिन राजीव गांधी के कत्ल के 30 बरसों बाद का अगर जायेजा लें तो राजीव गांधी के ख्याल बिल्कुल सही साबित होते दिखाई पड रहे है। राजीव गांधी की शहादत, के बाद 1992 मेें दिन के उजाले में हिन्दू दहशतगर्दों ने अयोध्या मेें वाके बाबरी मस्जिद को पुलिस की मौजूदगी में शहीद कर दिया। और पूरे मुल्क मेें हिन्दू दहशतगर्दी का बोलबाला हो गया। इस बढती हुयी दहशतगर्दी ने हमारे मुल्क के खूबसूरत तस्वीर को बदसूरती में तब्दील कर दिया। मजहब के नाम पर एलेक्शन लडे गये और हिन्दू मुस्लिम नफरत की दीवार खडी करके मरकज और मुल्क केे मुखतलिफ रियासतों में बीजेपी बरसरे इक़्तेदार आ गयी। बाबरी मस्जिद की अफसोसनाक शहादत के बाद बाराबंकी मेें रामस्नेही घाट पर तामीर कदीम मस्जिद गरीबनवाज को हाई कोर्ट की हुक्मे इम्तेनाई के बाद शहीद कर दिया गया। भले ही इस अहेम और काबिले मज़म्मत खबर को गोदी मीडिया पी गया लेकिन दुनिया के मशहूर तरीन अखबार गारजन ने इस खबर को न सिर्फ नुमायां तौर पर शाया किया बल्कि इन्हेदामी कार्रवाही की तस्वीरें भी छापी हैं । खैर बात राजीव गांधी की हो रही थी तो उन्हेांने वजीरे आजम बनने के बाद वक्त से पहले ही आम इन्तेखाबात का एलान कर दिया उस वक्त राजीव गांधी के हक में ज़बरदस्त लहर थी । उनको संसद की 533 सीटों से 415 सीटें हासिल हुयीें। यह इतनी सीटें थीं कि उनकी वाल्दा इन्दिरा गांधी और करिश्माई शख्सियत के मालिक राजीव गांधी के नाना पं0 जवाहर लाल नेहरू ने भी कभी इतनी सींटें हासिल नहीं कर पाए थे । इन्दिरा गांधी के बुजदिलाना कत्ल से उपजी हमदर्दी की लहर के साथ ही इस कामयाबी ने खुद राजीव गांधी की बेपनाह मेहनत का भी बहुत दखल था। चुनाव प्रचार के दोरान 25 दिनों के अन्दर राजीव गांधी ने कार हेलीकाप्टर ओर जहाजों से तकरीबन 50 हजार किलामीटर का फासला तय किया था। बीजेपी को उस एलेक्शन में महज दो सीटें ही हासिल हुयी थीं। राजीव गांधी की हिकमते अमली के तहेत अटल बिहारी बाजपेयी को ग्वालियर से माधो राजे सिंधिया ने और हेमवती नन्दन बहुगुणा को इलाहाबाद से अभिताभ बच्चन ने शिकस्त दी थी। वजीरे आजम के ओहदे पर रहते हुये राजीव गाँधी ने श्री लंका से तमिल दहशतगर्दाें का खात्मा करने के लिये वहां हिन्दुस्तानी फौज को भेजा था। जिसकी वजह से श्री लंका में मौजूद दहशतगर्द तन्जीम लिब्रेशन टाईगर का बहुत नुकसान हुआ था और वह राजीव गांधी की जान का दुशमन बन गया था और आखिर 21 मई 1991 को श्रीपेरम्बदूर ने लिट्टे के एक हमलावर ने राजीव गांधी की जान ले ली थी।

आखिर में यही कहना है कि राजीव गांधी ने इस मुल्क को 21वीं सदी मेें लिये जाने की बहुत कामयाब कोशिश की जिसमें वह बहुत हद तक कामयाब रहे । वह मुल्क के मुखलिस तरीन लीडर थे। और उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम की फलाह व बहबूद के लिये लातादाद काम किये जिसके लिये उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।