नई दिल्ली: काम की खराब प्रगति को देखते हुए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर ऑफ इंडिया ने बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च और डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्यूनिकेशन ग्रुप लिमिटिडे के साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने का फैसला लिया है। रेलवे के इस कदम को भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

चार सालों में केवल 20 फीसदी हुआ कामकाज
कंपनी को कानपुर-दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। यह करीब 417 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर है। इस कॉन्ट्रैक्ट की कुल लागत 471 करोड़ रुपये थी। चीन की कंपनी को रेलवे ने जून 2016 में यह कॉन्ट्रैक्ट 471 करोड़ में दिया था। रेलवे ने कहा कि पिछले चार सालों में केवल 20 फीसदी कामकाज हुआ है जबकि काम 2019 में पूरा करने लेने की बात कही गई थी।

पीएम ने कहा था चीन को चुकानी होगी कीमत
बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि चीन की धोखेबाजी और कायराना हरकत की कीमत उसे चुकानी होगी। इसके बाद सबसे पहले सं दूरसंचार विभाग ने यह फैसला किया है कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के 4G इक्विपमेंट को अपग्रेड करने के लिए चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सरकारी सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने बीएसएनएल से कहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाए। विभाग निजी मोबाइल सेवा ऑपरेटरों से चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए भी विचार कर रहा है।