• कथक नाटिका ‘रुक्मणी वल्लभ राधेकृष्ण’ का मंचन
  • रुक्मिणी की पीड़ा से मुखरित होता राधा-कृष्ण का अलौकिक प्रेम
  • पं.धर्मनाथ मिश्र, पं.रामेश्वर मिश्र, इल्मास हुसैन, रवि, और रामेश्वरी देवी का हुआ सम्मान

टीम इंस्टेंटखबर
राधा और कृष्ण अलग हैं ही नहीं, एक स्वरूप, एक शरीर, एक आत्मा या एक शक्तिपुंज हैं। खूबसूरत कोरियोग्राफी में शुद्ध पक्ष के टुकड़ों, परन, तिहाइयों के संग भाव और अभिनय से सजी कथक संरचना ‘रुक्मणी वल्लभ राधेकृष्ण’ में प्रेक्षकों के सामने आई। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से कल्चरल क्वेस्ट संस्था की ओर से कथक नृत्यांगना सुरभि सिंह के नृत्य निर्देशन में इस नृत्यनाटिका का प्रदर्शन यहां छावनी क्षेत्र के एक आवास परिसर में किया गया। संरचना का आलेख यू.वी. शर्मा का और संगीत पक्ष अर्जित अग्रवाल का रहा।

ये प्रश्न अक्सर उठता है पतिव्रत धर्म निभाने वाली रुक्मिणी का नाम श्रीकृष्ण के साथ क्यों नहीं लिया जाता, नृत्यनाटिका के केन्द्र में रुक्मिणी की ओर से उठा यह प्रश्न है तो पूरी पेशकश की परिधि में फैले शब्द और शास्त्रीय संगीत व नृत्य गतियों में इस उत्कण्ठा के उत्तर को विस्तार दिया गया है। राधा-कृष्ण का प्रेम और रुक्मिणी के राधा से सम्बंधों को लेकर काव्यमय भावाभिव्यक्तियों के संग दर्शनीय कथक गतियों व संयोजनों में कभी तीव्र तो कभी मंद्र गति में उतरती यह प्रस्तुति दर्शकों को अपलक सा बांधे रखती है।

युवा नृत्यांगना ईशा रतन ने मुख मुद्राओं के संग हस्तकों को प्रयोग राधा का प्रेम सौंदर्य दर्शाने में प्रभावी ढंग से किया। दीपेन्द्र कुंवर की बजाई बांसुरी के सुरों ने मीशा रतन द्वारा प्रभावी ढंग से निभाये गये श्रीकृष्ण के चरित्र को और उभार दिया। कास्टयूम का दायित्व सम्भालने के साथ रुक्मिणी के हृदय की भावनाओं को उजाकर करने में शिंजनी सोम्वित सरकार ने संजीदगी से साकार किया। रुक्मिणी के लिए अगर लेखक के शब्द ‘साथ हमारा जनम-जनम का रिश्तों का संसार, फिर भी जग ने प्रीत को मेरी नहीं किया स्वीकार’ इस्तेमाल किया तो पंचम सवारी 15 मात्रा ताल में नाटिका नवीन आयाम को अभिव्यक्ति करती आरम्भ होती है तो उत्तर में राधेकृष्ण का अलौकिक प्रेम कथक टुकड़ों, छंदों और तिहाइयों में खिल उठा। तबलानवाज विकास मिश्र ने सांगीतिक प्रयोग करते हुए पढ़न्त करने के साथ वादन में तो दिया ही प्रस्तुति प्रबंधन का काम भी बखूबी संभाला। काव्य रचनओं का गायन कोरियोग्राफर सुरभि सिंह के स्वरों में उभरकर सामने आया। प्रस्तुति के अन्य पक्षों में शहीर, स्निग्धा सरकार, ज्योति किरन रतन, गोपाल कृष्ण डे का सहयोग विशेष रहा।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में विजय अग्निहोत्री ने मधुर भजन सुनाकर भक्तिरस से आह्लादित किया। इस अवसर पर कार्पोरेशन बैंक इम्पलाइज यूनियन के सहयोग से संस्था द्वारा विशिष्ट संस्कृतिकर्मियों की सम्मान की पहली कड़ी में ठुमरी गायन में सिद्धहस्त पं.धर्मनाथ मिश्रा, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं.रामेश्वर मिश्रा, इतिहास लेखक रवि भट्ट, लखनऊ घराने के तबलानवाज इल्मास हुसैन खान और शम्भू महाराज की पुत्री व कथक नृत्यांगना विदुषी रामेश्वरी देवी को स्मृतिचिह्न, अंगवस्त्र इत्यादि प्रदान कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का प्रसारण सोशल मीडिया पर भी हुआ। आयोजन में विशिष्ट अतिथियों के तौर पर भी रोहित श्रीवास्तव व हेल्पिंग यूथ फाउंडेशन के अध्यक्ष पी.के.गुप्ता उपस्थित रहे। अतिथियों कलाकारों का स्वागत रेखा व अरुण अग्रवाल दम्पति ने किया।