लखनऊ:
मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने मुल्क के मौजूदा हालात पर बात करते हुए कहा कि हम अपने मराज-ए-किराम (धर्म गुरुओं) की तस्वीर लगा कर ये पैग़ाम देते हैं कि हम मज़लूमों के साथ हैं ज़ालिमों के साथ नहीं। मौलाना ने कहा कि कुछ टी.वी चैनल खुद ऐसे विषयों को उठाते हैं और आपत्ति के लिए किसी अज्ञात व्यक्ति का इंटरव्यू लेते हैं ताकि उनके चैनल की टीआरपी बढ़ जाये और इस तरह इस अज्ञात व्यक्ति को भी कुछ शोहरत मिल जाती है। मौलाना ने आगे कहा कि अयातुल्लाह खामेनई की तस्वीर लगाना कोई कानूनी अपराध नहीं है, इसलिए पुलिस से मत घबराइये। ये कुछ अधिकारी हैं जो इजरायल की नमक हलाली की कोशिश कर रहे हैं। अगर आज से पहले मराज-ए-किराम (धर्म गुरुओं) की तस्वीरें लगाने पर आपत्ति नहीं हुई तो अब क्यों हो रही है? इन साज़िशों से होशियार रहिये। मौलाना ने जनता और प्रशासन को अगाह करते हुए कहा कि मैंने मराज-ए-किराम (धर्म गुरुओं) की तस्वीरें लगाने के लिए कहा है, अगर पुलिस को मुक़दमा दर्ज करना है तो मुझ पर करे। अवाम उनकी तस्वीरें लगाए, हरगिज़ किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है।

इससे पहले इमामबाड़ा गुफ़रानमआब में अशरा ए मुहर्रम की पांचवी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने विलायते अली (अस) की अहमियत और फ़ज़ीलत को क़ुरान और हदीसों की रौशनी में पेश किया। मौलाना ने मेराज-ए-पैग़म्बर (स.अ.व) का ज़िक्र करते हुए कहा कि हुज़ूर को मेराज इसी लिए हुई ताकि अली की विलायत के ऐलान का हुक्म और हज़रत फातिमा (स.अ) के नूर को मुन्तक़िल किया जा सके। आयाए बल्लिग़ में जो ये कहा गया है कि ऐ रसूल पंहुचा दीजिये वो हुक्म जो हम आप पर नाज़िल कर चुकें हैं, तो दर अस्ल ये वही हुक्मे विलायत अली (अस) है जो मेराज के सफर पर खुदा की तरफ़ से दिया गया था। मौलाना ने कहा याद रखिये बग़ैर विलायते अली (अस) के दीन मुकम्मल नहीं हो सकता इसलिए अली (अस) से मोहब्बत फ़र्ज़ और ऐने ईमान है। जो लोग अली (अस) की दुश्मनी में मुब्तिला हैं उनके लिए हरगिज़ निजात नहीं है।

मजलिस के आख़िर में मौलाना ने हज़रत हुर (अ.स) की तौबा और उनकी शहादत के वाक़िए को बयान किया।