बिहार विधानसभा चुनाव में नई नवेली प्लूरल्स पार्टी को करारी शिकस्त मिली है। मार्च के महीने में अखबार के जरिए खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बताकर राजनीति में आने वालीं पार्टी प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी ने पटना के बांकीपुर और मधुबनी के बिस्फी विधानसभा से चुनाव लड़ी थी। बिस्फी में उन्हें मात्र 1,500 वोट हीं मिल पाएं। जबकि बांकीपुर में एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिला। दोनों सीटों पर वो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थीं।
मंगलवार यानी मतगणना के दिन पुष्पम प्रिया ने ईवीएम पर भी निशाना साधा था। उन्होंने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा और कहा था कि ईवीएम को हैक कर लिया गया है। अब अपने फेसबुक से पुष्पम प्रिया ने एक पोस्ट साझा कर बिहार की बदहाली और पार्टी और खुद की हार को लेकर तीखे तंज कसे हैं। लंदन से पढ़ाई कर लौटने वाली पुष्पम प्रिया ने कहा कि जिस तरह के संस्थान में उन्होंने पढ़ाई की है उसी तरह के संस्थान में हर बिहारी को पढ़ाने का सपना था जो इस चुनाव में हार के साथ टूट गया। उन्होंने कहा,मेरी संवेदना मेरे लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ है। फिलहाल अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न मनाएं और चौपट राजाओं के लिए ताली बजाएं। मैंने जो बिहार के लिए सपना देखा था वो टूट गया, 2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही
फेसबुक पर शेयर पोस्ट में पुष्पम प्रिया ने लिखा, “आज सुबह हो गई पर बिहार में सुबह नहीं हुई। मैं बिहार वापस एक उम्मीद के साथ आई थी कि मैं अपने बिहार और अपने बिहारवासियों की जिंदगी अपने नॉलेज, हिम्मत,ईमानदारी और समर्पण के साथ बदलूंगी। मैंने बहुत ही कम उम्र में अपना सबकुछ छोड़ कर ये पथरीला रास्ता चुना क्योंकि मेरा एक सपना था- बिहार को पिछड़ेपन और गरीबी से बाहर निकालने का। बिहार के लोगों को एक ऐसी इज्जतदार जिंदगी देना जिसके वो हकदार तो हैं पर जिसकी कमी की उन्हें आदत हो गई है। बिहार को देश में वो प्रतिष्ठा दिलाना जो उसे सदियों से नसीब नहीं हुई। मेरा सपना था बिहार के गरीब बच्चों को वैसे स्कूल और विश्वविद्यालय देना जैसों में मैंने पढ़ाई की है, जैसों में गांधी, बोस, अंबेडकर, नेहरू, पटेल, मजहरूल हक और जेपी-लोहिया जैसे असली नेताओं ने पढ़ाई की थी। उसे इसी वर्ष 2020 में देना क्योंकि समय बहुत तेजी से बीत रहा और दुनिया बहुत तेजी से आगे जा रही। आज वो सपना टूट गया है, 2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही है।”
अपने पोस्ट के जरिए पुष्पम प्रिया ने कहा, “आज अंधेरा बरकरार है और 5 साल, और क्या पता शायद 30 साल या आपकी पूरी जिंदगी तक यही अंधेरा रहेगा, आप ये मुझसे बेहतर जानते हैं। आज जब अपनी मक्कारी से इन्होंने हमें हरा दिया है, मेरे पास दो रास्ते हैं। इन्होंने बहुत बड़ा खेल करके रखा है जिस पर यकीन होना भी मुश्किल है। या तो आपके लिए मैं उससे लड़ूं पर अब लड़ने के लिए कुछ नहीं बचा है ना ही पैसा ना ही आप पर विश्वास, और दूसरा बिहार को इस कीचड़ में छोड़ दूं। निर्णय लेना थोड़ा मुश्किल है। मेरी संवेदना मेरे लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ है। फिलहाल, आप अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न मनाएं और चौपट राजाओं के लिए ताली बजाएं। जब ताली बजा कर थक जाएं, और अंधेरा बरकरार रहे, तब सोचें कि कुछ भी बदला क्या, देखें कि सुबह आई क्या? मैंने बस हमेशा आपकी खुशी और बेहतरी चाही है, सब खुश रहें और आपस में मुहब्बत से रहें।”
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