लखनऊ हिंसा के मामले में कल प्रशासन द्वारा धर्मवीर सिंह व माहेनूर चौधरी की सम्पत्ति जब्त कर बेदखल करने की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि योगी राज में कानून का राज नहीं चल रहा है. यहां गुनाह साबित होने से पहले ही सरकार द्वारा सजा दी जा रही है. सर्वोच्च न्यायालय तक ने साफ तौर पर कहा है कि सामुदायिक हिंसा के मामले में वसूली की कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या जिला न्यायधीश के द्वारा ही की जा सकती है इसलिए एडीएम लखनऊ द्वारा वसूली का निर्णय माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना है. इस संबंध में कई बार पत्रक दिए गये व प्रदेश के कई जिलों में तो ऐसे ही मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थगनादेश दे रखा है. इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कोरोना महामारी को देखते हुए बेदखली की कार्रवाई पर पूर्णतया रोक लगाई हुई है. बावजूद इसके न्यायालयों की अवहेलना करते हुए सरकार सम्पत्ति जब्त कर बेदखली की कार्यवाही करा रही है.
उन्होंने कहा कि नैसर्गिक न्याय और भारतीय न्याय प्रणाली के विरुद्ध जाकर योगी की सरकार और उसका प्रशासन बिना गुनाह साबित हुए ही सजा दे रहा है. यही नहीं वसूली की कार्रवाई 19 दिसंबर के बाद लागू हुए वसूली संबंधी अध्यादेश के अंतर्गत की जा रही है जो पूर्णतया विधि विरुद्ध है.
इसलिए उन्होंने कहा कि आतंक कायम कर राज करने का योगी माडल लोकतांत्रिक व्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचायेगा. सरकार को अपने संवैधानिक दायरे में काम करते हुए न्यायालय का सम्मान करना चाहिए और तत्काल प्रभाव से इस बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगानी चाहिए और कोरोना महामारी में तो कतई इस तरह की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही नहीं करनी चाहिए.
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