लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में कृषि और कृषको के विकास के लिए भारत के नीति आयोग और सुनहरा कल के तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी सहित कई जिलों अधिकारीयों एवं कृषि विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े जिलों में कृषि विकास के कार्यक्रमों पर गहन चर्चा की ।

अपने संबोधन में देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार कृषि को लेकर तमाम तरह के कार्यक्रम चला रही है लेकिन प्राइवेट सेक्टर को आगे आना होगा ताकि कृषि को लेकर लोगों की सोच बदले। उन्होंने कहा कि मिलेट्स को ज्यादा से ज्यादा उत्पादन पर ध्यान देना होगा। उन्होंने सरकार अपनी तरफ से कोशिश तो करती है लेकिन इसकी मार्केटिंग करना बेहद आवश्यक है।

पीएम प्रणाम योजना का जिक्र करते हुए देवेश चतुर्वेदी ने कहा केंद्र सरकार द्वारा देशभर के किसानों को सहायता पहुंचाने के लिए रसायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। लेकिन अब सरकार के सामने एक समस्या उत्पन्न हो गई है कि किसानों द्वारा रसायनिक उर्वरकों (का उपयोग बहुत अधिक किया जाने लगा है। जिसके कारण केंद्र सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। इसी समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार एक योजना को शुरू पीएम प्रणाम योजना को शुरू करने जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि पीएम प्रणाम योजना के जरिए केंद्र सरकार कैमिकल रसायनों के इस्तेमाल को कम करके वैकल्पिक उर्वरकों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी करना चाहती है। इस योजना से राज्यों में केमिकल उर्वरकों के यूज में कमी आएगी और खेती को केमिकल युक्त करने में मदद मिलेगी।. इससे किसानों को लंबी अवधि में बड़े लाभ मिलेंगे। वहीं उन्होंने कार्यक्रम में कई जिलों अधिकारीयों एवं कृषि विशेषग्य से भी जानना चाहा कि धरातल पर कितना काम हो रहा है साथ ही किसानों और कृषि को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की जो स्कीम चल रही है उसका फायदा कितना मिल रहा है, इसकी जानकारी भी उन्होंने ली।

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र (आईआरआरआई) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने कहा कि हम धान की सीधी बुआई की तकनीकी को प्रोत्साहित कर रहे हैं, साथ ही उन्होंने बताया कि आईआरआरआई इस वक्त एक ठोस प्लनिंग के तहत का काम कर रहा है जिससे भारत में चावल और गेंहू की कृषि को आधुनिक तरीके से किया जा सके। उन्होंने कहा कि पुरानी प्रजातियों के धान अपनी तेज सुगंध व स्वाद के साथ ही भरपूर पोषण से युक्त हुआ करते थे। इनमें जिंक व आयरन भरपूर मात्रा में होता था। उन्होंने आगे बताया कि ये प्रजातियां स्वयमेव हजारों वर्षों में खुद की प्रतिरोधक शक्ति विकसित करते हुए, जलवायु परिवर्तन के आघातों से लड़ते हुए तैयार हुई थीं, इसलिए उनमें बाढ़ और सूखा से लडऩे की क्षमता थी। लेकिन इनकी उपज जहां मात्र तीन-चार कुंतल प्रति एकड़ थी, वहीं नई प्रजातियां छह-सात कुंतल प्रति एकड़ उपज देकर बढ़ती आबादी का पेट भरने में सक्षम हैं।

आईटीसी के तरफ अखिलेश यादव ने बताया आईटीसी और नीति आयोग मिलकर कृषि से जुड़ी समस्थ्याओं को हल करने के लिए किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि की उन्नत तकनीक की जानकारी होगी जिससे किसान उन्नत खेती कर पाएंगे। अखिलेश ने कहा कि हम कई संस्थाओं के साथ मिलकर किसानों को अपनी आय बढ़ाने के तरीके भी बताए जाता है और ग्रामीण सेवाओं को और बेहतर करके एक बेहतर बाजार प्रदान करने के लिए ठोस योजनाओं पर काम किया जा रहा है।

ग्रामीण डेवेलपमेंट सर्विसेज के अमिताभ मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट, सोनभद्र, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर जैसे अति पिछड़े पांच जिलों को लेकर कृषि विकास के लिए आईटीसी के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया उनकी संस्था आईटीसी के साथ मिलकर किसानो के साथ जमीनी स्तर पर काम कर रही है ताकि किसानों की आय बढाई जा सके ।

ज्ञातव्य है कि आईटीसी कंपनी देश के किसानों के साथ मिलकर कई फसल और सब्जियों के साथ-साथ औषधीय और फूलों के वैल्यू एडिशन पर कार्य कर रही है। इससे किसानों को अधिक लाभ होगा. इनमें बेहतर गुणवत्ता वाले जैविक मिर्च, व्यापार के लिए प्रमाणित विशेष कॉफी, गेहूं का आटा, औषधीय औऱ सुगंधित फूलों का अर्क शामिल है। इन सभी उत्पादों में वैल्यू एडिशन होने के बाद इसका लाभ किसानों को मिलेगा। इस कार्यशाल में चित्रकूट, सोनभद्र, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर जिले से आये लोगों ने अपनी राय और अनुभव साझा किया।