तब्लीग़ी जमातियों को बताया आतंकवादी, वीडियो वायरल

कानपूर: उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह तबलीगी जमातियों को आतंकवादी बता रही हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तुष्टिकरण का आरोप भी लगा रही हैं| बताया जा रहा है कि यह वीडियो करीब 70 दिन पुराना है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह अब हो रहा है।

तुष्टिकरण कर रहे हैं मुख्यमंत्री
वीडियो में डॉ. आरती लालचंदानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ‘तुष्टिकरण’ की राजनीति करते हुए तबलीगी जमात के सदस्यों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का आरोप लगाती है। हालांकि डॉ आरती ने सफाई में कहा कि वीडियो में उन्हें फंसाने के लिए छेड़छाड़ की गई है।

जमातियों को बताया आतंकवादी
वीडियो में प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी कथित तौर पर कुछ लोगों के साथ बातचीत करते हुए देखा जा रहा है, जो पत्रकार लग रहे हैं। तबलीगी जमात के सदस्यों का कथित तौर पर जिक्र करते हुए डॉक्टर आरती को ‘आतंकवादी हैं’ कहते हुए सुना जा सकता है।

वीडियो की सत्यता को लेकर अभी तक किसी प्रकार की पुष्टि नहीं की जा सकी है, लेकिन इसके वायरल होने के बाद विवाद छिड़ गया है, जिसमें एक समुदाय विशेष के खिलाफ टिप्पणी करने और प्रदेश के मुख्यमंत्री पर तुष्टिकरण का आरोप लगाने पर मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।

वायरल वीडियो में क्या है
वायरल हो रहे वीडियो में डॉ. लालचंदानी को कथित तौर पर कहते हुए सुना जा सकता है, “ये लोग आतंकवादी हैं और हम उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराकर वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं। हम उन पर अपने संसाधनों और श्रमशक्ति को समाप्त कर रहे हैं। हम होटल के बिल का भुगतान कर रहे हैं और उन पर हमारी किट, भोजन और दवाइयां बर्बाद कर रहे हैं।”

इस बीच, जब वीडियो में एक पत्रकार द्वारा तब्लीगी जमात के सदस्यों से संबंधित उसके भविष्य के कार्य के बारे में पूछा गया, तब वह कहती हैं, “आप लोग इसे कहीं लीक तो नहीं करेंगे। वह कहती हैं कि यहां कोई नहीं सुनेगा, जिलाधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों के अनुसार काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री तुष्टिकरण कर रहे हैं।”

पत्रकारों से वह कहती है, “मुझे आशा है कि आप इसे रिकॉर्ड नहीं कर रहे हैं। उन्हें (तब्लीगी जमात के सदस्यों को) अस्पतालों में भर्ती करना तुष्टिकरण है। जिन्हें जेलों में डाला जाना चाहिए, उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।”