लखनऊ: तीनों कृषि कानून एवं बिजली बिल देश विरोधी हैं, इनसे खेती और कृषि व्यापार पर देशी विदेशी कारपोरेट का कब्जा हो जायेगा। एमएसपी, मंडियों, सरकारी खरीद, सस्ता राशन वितरण का खात्मा, जमाखोरी मुनाफाखोरी का बोलबाला हो जायेगा। ठेका खेती के नाम पर भूमि अडानी अंबानी जैसे कारपोरेट्स के हवाले हो जायेगी। इस बारे में मोदी सरकार की सफाई झूठी है। यह फसलों के डेढ़ गुना दाम, पूर्ण कर्जा मुक्ति, आमदनी दोगुनी, 15 लाख, सालाना दो करोड़ रोजगार जैसी ही जुमलेबाजी है। मौजूदा सीजन में धान, मक्का, बाजरा आदि की लूट इसका प्रमाण है-किसान इस असलियत को समझ गये हैं। किसानों में भारी रोष है, यह आंदोलन टूटने वाला नही है। मोदी सरकार को भारी पड़ेगा। उ0प्र0 किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह ने उक्त बातें यहां राज्य कार्यालय में एक प्रेस वार्ता में कही। किसान सभा रिसोर्स सेंटर के प्रभारी मो0 ओसामा भी मौजूद रहे।

मुकुट सिंह ने आगे कहा कि यह आंदोलन देश का है, किसानों में उबाल है। पुलिस दमन, आंसू गैस, जलतोपों, गिरफ्तारी को झेलते हुए किसान बहादुरी से दिल्ली के बार्डरों पर पहुंचे हैं। 22-23 दिनों से डटे हुए हैं। 30 किसान शहीद हो चुके हैं। किसानों का संकल्प है कि इन काले कानूनों के वापसी के बगैर नहीं लौटेंगे, सरकार चाहे जो भी कर ले। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी सकारात्मक टिप्पणी की है। मोदी सरकार में अफरा-तफरी मची हुई है। सहयोगी छोड़ रहे हैं, इस्तीफे हो रहे हैं। आंदोलन तोड़ने के लिए कार्ययोजना के साथ स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मोर्चा संभालना पड़ा है। झूठी अफवाहें फैलाकर किसानों को देशद्रोही तक कहा जा रहा है। यह अन्नदाता की पीठ में छुरा भोंकने जैसा है। उ0प्र0 के किसान जहां बहादुरी से दिल्ली के गाजीपुर व पलवल बार्डरों पर जमें हुए हैं वही प्रदेश भर में आंदोलित हैं। 8 दिसंबर – 14 दिसंबर तथा अन्य सफल आंदोलन हुए हैं। हजारों किसानों को गिरफ्तार व नजरबंद किया गया। योगी सरकार स्थाई तौर पर धारा 144लगाकर आंदोलन पर रोक लगाकर तानाशाही दिखा रही है। भाजपा तथा केन्द्र व राज्य सरकार के मुख्यमंत्री मंत्री दलबल के साथ सरकारी संसाधनों का खुला दुरूपयोग कर इन काले कानूनों के पक्ष में भ्रम व झूठ फैला रहे हैं। उन्हें पूरी तरह छूट है। वहीं किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलनों पर रोक है, यह हास्यास्पद है कि प्रधानमंत्री द्वारा किसानों पर राजनीति करने का आरोप लगाया जा रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा एकजुट है, तीनों काले कृषि कानून, बिजली बिल पूरी तरह से रद्द नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया गया है। 20 दिसंबर को देश भर के गांवो में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी जायेगी।