इति जैन, आहार विशेषज्ञ

इति जैन

प्रेनेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज यानी Gestational Diabetes Mellitus के बारे में कुछ जरूरी बातों का ध्यान व सतर्कता आपको किसी बड़ी परेशानी से बचने में कारगर कदम है।

गर्भावस्था में मधुमेह क्यों विकसित होता है?

कुछ महिलाओं को दूसरों की तुलना में अधिक जोखिम होता है और जीडीएम के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक हैं:

• मोटापा

• मधुमेह का पारिवारिक इतिहास

• यदि पिछली प्रेग्नेंसी के दौरान भी जीडीएम रहा हो

• आयु 35 वर्ष से अधिक है

• अनियमित चक्र पीसीओएस का इतिहास

इसके अलावा सभी महिलाओं को गर्भ धारण से पहले अपना वजन नियामित रखना चाहिए। बढ़े हुए वजन से गर्भावस्था में कई तरह की तकलीफों से सामना करना पड़ सकता है।

गर्भावधि मधुमेह के लक्षण :

गर्भावधि मधुमेह वाली महिलाएं आमतौर पर निम्लिखित लक्षण दिखाती हैं :

• ग्लूकोज का स्तर में बढ़ोतरी’

• बढ़ी हुई प्यास

• थकान

• मतली या जी मिचलाना

• बढ़ा हुआ पेशाब

• खमीर संक्रमण या ईयर इंफेक्शन

• मूत्राशय का संक्रमण यानी ब्लैडर इंफेक्शन

• धुंधली दृष्टि।

जीडीएम का मां व शिशु पर प्रभाव :
बड़े आकार के शिशु के कारण प्रसव में कठिनाई और सिजेरियन सेक्शन की आवश्यकता पड़ सकती है इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर , योनि संक्रमण,समय से पहले प्रसव का खतरा भी आम है।शिशु के लिए भी प्रसव के दौरान एकदम से गिरने वाला ब्लड शुगर जानलेवा भी हो सकता है

जीडीएम में आहार पर व्यावहारिक दिशानिर्देश
अपने आहार का आकलन करने के लिए आहार विशेषज्ञ से मिलना महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान, आपकी पोषण संबंधी ज़रूरतें बढ़ जाती हैं और आपके बच्चे को संतुलित पोषण की आवश्यकता होती है।

अपने भोजन को तीन छोटे भोजन और दो या तीन पौष्टिक स्नैक्स के बीच बांटें

एक बार में बहुत ज्यादा खाने से आपका ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। यह बहुत जरूरी है कि आप खाना न छोड़ें।

उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट खाएं और फाइबर का सेवन बढ़ाएं रिफाइंड खाद्य पदार्थों की तुलना में उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा में अधिक क्रमिक वृद्धि करते हैं। फाइबर के अच्छे स्रोत सेम, दाल, सब्जियां, साबुत फल, जई, चोकर, साबुत अनाज और साबुत अनाज हैं।

नाश्ता मायने रखता है। एक नाश्ता जिसमें उच्च फाइबर और प्रोटीन होता है वह आमतौर पर सबसे अच्छा होता है जैसे चना आटा रोटी और सब्जी, शाकाहारी दलिया और छेना (घर का बना पनीर कम वसा)बांटे

जितना हो सके अपने कार्बोहाइड्रेट असंसाधित और अपरिष्कृत खाद्य पदार्थों से प्राप्त करें। उदाहरणों में सब्जियां और फल, फलियां और साबुत अनाज का आटा (चोकर के साथ गेहूं) आदि शामिल हैं।

एक उच्च फाइबर आहार कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा करके इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है।

फलों के 2-3 भाग का सेवन करें। फलों का जूस या चाशनी में डिब्बाबंद फल न खाएं।

मिठाई,आइस क्रीम और मीठे पदार्थ जैसे कोल्ड ड्रिंक को सख्ती से सीमित करें

कुल वसा और संतृप्त वसा यानी फैट कम करें। आहार वसा में कम होना चाहिए, विशेष रूप से संतृप्त वसा, जैसे डालडा आदि।

उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों में फास्ट फूड बर्गर, पिज्जा, समोसा, पकोड़े, तले हुए नमकीन और कई अन्य सुविधाजनक खाद्य पदार्थ शामिल हैं। उच्च संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थ पशु वसा से आते हैं, जैसे मक्खन, पनीर, लाल मांस और आइसक्रीम। ट्रांस-फैटी-एसिड से भरपूर अन्य खाद्य पदार्थ, जैसे केक, रस्क, बिस्कुट, पंखा, मैथी- से भी बचना चाहिए।

रोजाना 6-8 बादाम और 2 अखरोट खाएं क्योंकि ये ओमेगा-3 फैटी एसिड के समृद्ध स्रोत हैं। ओमेगा -3 फैटी एसिड आमतौर पर इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करते हैं।

जहाँ तक हो सके अपने भोजन का समय निश्चित रखें और भोजन को कैलोरी में स्थिर रखें ।