लेख

क़ब्रों तक फैलता मीडिया का ज़हर

तौक़ीर सिद्दीक़ी

देश की मीडिया की हालत कहाँ से कहाँ पहुँच चुकी है. इस ज़हरीली मीडिया का ज़हर अब इंसानो से होता हुआ मुर्दों तक पहुँच चूका है, घरों से होता हुआ क़ब्रों तक पहुँच चुका है. इन्हें कोई चिंता नहीं कि ये लोग क्या लिख रहे हैं, क्या दिखा रहे हैं। ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में इन्हें सही गलत से कोई मतलब नहीं। इन्हें किसी भी खबर की सच्चाई जानने की कोई ख्वाहिश नहीं। इन्हें तो बस TRP चाहिए। हैरानी होती है कि इस दौड़ में देश के बड़े बड़े मीडिया हाउस शामिल हैं, वो मीडिया हाउस जिनकी समाज में एक पहचान है. इस दौड़ में हिंदी क्या और अंग्रेजी क्या। सभी इस हम्माम में नंगे होने को तैयार हैं। बात यहाँ हैदराबाद के एक क़ब्रिस्तान की उस हरे रंग से पुती लोहे की उस जालीदार क़ब्र की हो रही है जिसे ये ज़हरीला मीडिया पाकिस्तान की ये कह कर बता रहा था कि इस क़ब्र को लोहे की जाली से इसलिए ढका गया है ताकि कोई रेपिस्ट इस क़ब्र में दफ़न महिला की लाश के साथ रेप न कर सके.

ये खबर कहाँ से आयी, किसने इसे सोशल मीडिया पर डाला, किसने आगे बढ़ाया ये एक अलग बात है लेकिन गोदी मीडिया कहिये या ज़हरीली मीडिया, उसने इस न्यूज़ को जमकर प्रचारित और प्रसारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कहा कि पाकिस्तान में ये सब हो रहा है. इस खबर को किन किन मीडिया हॉउसों ने चलाया, उनके नाम लिखने से कोई फायदा नहीं क्योंकि शायद ही अंग्रेज़ी और हिंदी को बड़ा मीडिया हाउस ऐसा नहीं होगा जिसने इस खबर को चलाया नहीं होगा। उन्होंने ज़रा भी पता लगाने की कोशिश नहीं की कि इस क़ब्र की सच्चाई क्या है. बस एक दौड़ में एक के बाद एक शामिल होते चले गए कहीं वो किसी से पीछे न रह जाय. सच्चाई पता लगाने की कोशिश न करने की वजह क्या हो सकती है इसका अंदाज़ा बखूबी लगाया जा सकता है.

बहरहाल सोशल मीडिया के इस दौर में सच्चाई बाहर आने में ज़्यादा वक्त नहीं लगता है. हर झूठ पकड़ा जाता है, हर फ़र्ज़ी खबर का पोस्ट मोर्टेम हो जाता है. इस क़ब्र की भी सच्चाई जल्द ही सामने आ गयी और सच्चाई ये है कि ये क़ब्र पाकिस्तान में नहीं बल्कि भारत में है और इसको लोहे की जाली से क्यों ढका गया है इसके बारे में सच सामने आ चूका है. ये क़ब्र हैदराबाद के क़ाबिरस्तान की है जो मदन्नापेट स्थित दराबजंग कॉलोनी में है. इस क़ब्र पर लोहे की जाली इस डाली गयी है कि कोई और इस कब्र में दूसरा मुर्दा दफन न कर सके. ये क़ब्र क़ाबिरस्तान के गेट के बिलकुल सामने बनी है इसलिए भी इसे जाली से ढक दिया गया ताकि कोई क़ब्र के ऊपर न चल सके.

कब्रिस्तान की देखभाल करने वाले मौलाना ने कब्र के बारे में पूरी सच्चाई बताई। यह वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. लेकिन इस सच्चाई के सामने आने से पहले देश के लाखों, करोड़ों लोगों तक गलत जानकारी फैलाई जा चुकी थी और एक ख़ास समुदाय के बारे में एक नकारात्मक इमेज गढ़ने की कोशिश हो चुकी थी. कहा सा सकता है कि सच्चाई सामने आने से पहले ये ज़हरीला मीडिया अपना काम कर चुका था. उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि इस तरह की झूठी ख़बरों से सांप्रदायिक माहौल भी खराब हो सकता है. लेकिन इन्हें क्या, दुनिया जलती है तो जल जाय, माहौल खराब हो तो हो जाय, लोग नफरत की आग में झुलसते हैं तो झुलस जाएँ। शर्म आती है, घिन महसूस होती है इन टीवी चैनलों और अख़बारों पर जो ज़िंदा इंसानों के बाद अब मुर्दा जिस्मों को भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने से नहीं चूक रहे हैं. अफ़सोस तो इस बात का है कि बिना पड़ताल झूठी खबर चलाने के बाद ये मीडिया हाउस बड़ी बेशर्मी से ये खबर चलाते हैं ये खबर गलत निकली। इस तरह की संवेदनशील खबर छापने या प्रसारित करने से पहले वो इसकी पड़ताल नहीं कर सकते थे, लेकिन बेशर्म मीडिया को कहाँ इसकी परवाह।

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