नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी से मची तबाही का असर किसी न किसी रूप में हर किसी पर पड़ रहा है, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इससे अछूते नहीं हैं. कोरोना महामारी से सही ढंग से निपटने में नाकाम रहने पर उनकी लोकप्रियता को भी बट्टा लगा है. विश्व के टॉप नेताओं की लोकप्रियता को ट्रैक करने वाली अमरीकी संस्था ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ ने कहा है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में सितंबर 2019 से अब तक 22 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है।

अबतक की सबसे बड़ी गिरावट
राजनीतिक सर्वेक्षण करने वाली इस कंपनी का कहना है कि उसने अगस्त 2019 से भारतीय प्रधानमंत्री की लोकप्रियता पर सर्वेक्षण करना शुरू किया था। तब से यह सबसे बड़ी गिरावट आ रही है।

अप्रैल की तुलना में 22 पॉइंट कम
‘मॉर्निंग कंसल्ट’ का कहना है कि नरेंद्र मोदी की रेटिंग इस हफ़्ते 63 फ़ीसदी रही, जो अप्रैल की तुलना में 22 पॉइंट कम है। सर्वे के मुताबिक़, महानगरों में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के साथ ही मोदी की लोकप्रियता में गिरावट आई है। इस सर्वे में भी महामारी से निपटने में सरकार के प्रति लोगों का भरोसा कम हुआ है।

पहली लहर में 89 फ़ीसदी लोग थे संतुष्ट
सर्वे में शामिल केवल 59 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि सरकार ने संकट से निपटने में अच्छा काम किया है। कोरोना की पिछली लहर में ऐसे लोगों की तादाद 89 फ़ीसदी थी।

लाशों से पटा पड़ा है देश
मॉर्निंग कंसल्ट के सर्वेक्षण का नतीजा ऐसे समय आया है जब गाँवों में एकाएक मौत के मामले बढ़ गए हैं। गंगा में सैकड़ों लाशें तैरती मिल रही हैं। हज़ारों लाशों को गंगा किनारे रेत में दफ़न करने की ख़बरें हैं। गाँवों में बड़ी संख्या में बुखार से पीड़ित होने की रिपोर्ट है।

गावों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी
गाँवों में तो लोगों के पास कोरोना जाँच की सुविधा ही नहीं है या फिर लोग जाँच करा नहीं रहे हैं। डॉक्टर और एंबुलेंस जैसी सुविधा भी नहीं है। गंभीर हालत होने पर मरीज़ों को शहरों में लेकर जाँच कराने पर अधिकतर मामलों में कोरोना की रिपोर्ट आ रही है। कई मरीज तो शहरों के अस्पताल पहुँचते-पहुँचते ही दम तोड़ दे रहे हैं।